खरपतवार

फसली पादपों के साथ उगे वे अवांछित और अनुपयोगी पादप जो फसल की वृद्धि में बाधा उत्पन्न करते है, खरपतवार कहलाते हैं। विलायती गोखरू ( जैथियम ), गाजर घास ( पारथेनियम ) व मोथा (साइप्रस रोटेंडस) इत्यादि खरपतवार के उदाहरण है। साइप्रस रोटेंडस मोथा एक बहुवर्षीय पौधा है। मोथा एक तरह की घास (Cyperus Rotundus) … Read more

जल संरक्षण

जल का अणु सूत्र H2O है। पृथ्वी तल पर पाए जाने वाले पदार्थों में सर्वाधिक बाहुल्य जल का है। पृथ्वी तल का 70 प्रतिशत भाग जल में डूबा रहता है। जल पृथ्वी पर प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला एकमात्र अकार्बनिक तरल पदार्थ है। पृथ्वी की सतह पर पाया जाने वाले अधिकतर जल समुद्र और … Read more

वायु (Air)

वायु विभिन्न गैसों का मिश्रण है। कार्बन डाइऑक्साइड व शेष भाग में नियोन, हीलियम, क्रिप्टोन, मेथेन, हाइड्रोजन, जलवाष्प आदि गैसें होती है। वायु के घटक वायु गैसों का एक मिश्रण है। वायु के मुख्य घटक निम्नलिखित हैं: वायु में अन्य गैसों की मात्रा भी पाई जाती है, जिनमें शामिल हैं: वायु में अल्प मात्रा में … Read more

जल प्रदूषण (Water pollution)

जल में अवांछित पदार्थों जैसे विषैले रसायन, रेडियोऐक्टिव पदार्थ, कचरा, प्लास्टिक इत्यादि मिलने से उसके रासायनिक एवं भौतिक गुणों में परिवर्तन आ जाते है एवं उसकी गुणवत्ता में ह्रास हो जाता है। इसे जल प्रदूषण (Water pollution) कहते है। जल प्रदूषण के कारण तालाबों, झीलों व नदियों का जल दूषित हो जाता है। दूषित जल … Read more

जल चक्र (Water cycle)

जल स्रोत से जल वाष्पीकरण द्वारा वाष्प के रूप में ऊपर उठता है। जल वाष्प के संघनन से बादल बनते हैं तथा वर्षण द्वारा जल वर्षा के रूप में पुनः जल स्रोतों में आता है। इस चक्र को जल चक्र कहते है। जल चक्र पृथ्वी पर पानी के एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित … Read more

प्राकृतिक संसाधन (Natural resources)

प्रकृति से प्राप्त उपयोगी संसाधन ‘प्राकृतिक संसाधन’ कहलाते हैं। प्राकृतिक संसाधन के प्रकार प्राकृतिक संसाधन निम्न दो प्रकार के हो सकते हैं- जैविक संसाधन ये संसाधन प्राकृतिक रूप से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष माध्यम से हरे पादपों की प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा होते हैं। भोज्य पदार्थ, फल, काष्ठ, रबर, तेल, दुग्ध, दुग्ध-उत्पाद, मत्स्य, मांस तथा चमड़ा … Read more

सतत विकास (Sustainable Development)

ब्रन्टलैंड प्रतिवेदन के अनुसार, “सतत् विकास वह विकास है जो वर्तमान की आवश्यकताओं की पूर्ति आगे की पीढ़ियों की आवश्यकताओं की बलि दिए बिना पूरी करता हो।” सतत् विकास का अर्थ एक ऐसे विकास से है जो वर्तमान की आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ-साथ भविष्य की आवश्यकताओं का भी ध्यान रखे। विकास ऐसा हो जो … Read more

पारिस्थितिकी (Ecology)

पर्यावरण अध्ययन, पारिस्थितिकी (Ecology) के अन्तर्गत आता है। इस शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के ओइकोस (Oikos) शब्द से हुई है जिसका अर्थ है रहने का स्थान (Place to live) एवं लोगोस (Logos) शब्द का अर्थ है- अध्ययन करना (to study) अर्थात् सजीवों के रहने के स्थान (आवास = habitat) का अध्ययन करना। अर्नेस्ट हेकल … Read more

पारिस्थतिकी तंत्र (Ecosystem)

पारिस्थतिकी तंत्र जीव मण्डल की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई हैं एवं इसमें स्वतः जीवित रहने का गुण है। यह एक खुला तंत्र है एवं सूर्य की ऊर्जा पर निर्भर रहता है। पारिस्थितिकी तंत्र छोटे एवं बड़े भी होते हैं। आस पास के तंत्रों में खनिज पदार्थों एवं ऊर्जा का लगातार आदान-प्रदान होता रहता है। अतः … Read more

जलवायु परिवर्तन (Climate change)

पर्यावरण के प्रमुख भौगोलिक घटक जैसे ताप, वायुदाब, आर्द्रता, वायु वेग, वर्षा आदि जलवायु का निर्माण करते हैं। विगत वर्षों में जनसंख्या वृद्धि, औद्योगीकरण, वन विनाश, स्वचालित वाहनों में वृद्धि तथा रासायनिक कीटनाशकों के प्रयोग से पर्यावरण को क्षति पहुंची है तथा जलवायु के विभिन्न तत्त्वों जैसे ताप, वायुदाब, आर्द्रता, वायु वेग, वर्षा आदि में … Read more