पर्यावरण के प्रमुख भौगोलिक घटक जैसे ताप, वायुदाब, आर्द्रता, वायु वेग, वर्षा आदि जलवायु का निर्माण करते हैं।
विगत वर्षों में जनसंख्या वृद्धि, औद्योगीकरण, वन विनाश, स्वचालित वाहनों में वृद्धि तथा रासायनिक कीटनाशकों के प्रयोग से पर्यावरण को क्षति पहुंची है तथा जलवायु के विभिन्न तत्त्वों जैसे ताप, वायुदाब, आर्द्रता, वायु वेग, वर्षा आदि में व्यापक परिवर्तन हुआ है।
जलवायु परिवर्तन का मतलब पृथ्वी के दीर्घकालिक औसत मौसम पैटर्न में होने वाले परिवर्तन हैं। इन पैटर्न में तापमान, वर्षा, हवा, और अन्य मौसम कारक शामिल हैं। जलवायु परिवर्तन प्राकृतिक और मानवीय दोनों कारणों से हो सकता है।
जलवायु परिवर्तन के कारण
जलवायु परिवर्तन के मुख्य कारण निम्न प्रकार हैं-
प्राकृतिक कारण:
प्राकृतिक कारण – मृदा क्षरण, बाढ़, तूफान, चक्रवात, भूस्खलन, ज्वालामुखी, दावाग्नि, सूखा, आँधी, तड़ित एवं भूकम्प आदि।
- कक्षीय परिवर्तन: पृथ्वी सूर्य के चारों ओर जिस रास्ते पर घूमती है, उसमें परिवर्तन से पृथ्वी पर प्राप्त होने वाले सौर विकिरण की मात्रा बदल सकती है।
- सौर उत्पादन: सूर्य की गतिविधि में परिवर्तन से पृथ्वी तक पहुँचने वाली ऊर्जा की मात्रा प्रभावित हो सकती है।
- ज्वालामुखी विस्फोट: बड़े ज्वालामुखी विस्फोट वायुमंडल में राख और अन्य गैसों को छोड़ सकते हैं, जो पृथ्वी को ठंडा कर सकते हैं।
मानवीय कारण:
मानवीय कारण – जनसंख्या वृद्धि, औद्योगीकरण, वन विनाश, यातायात के साधन, अनियोजित नगरीकरण, संसाधनों का असीमित विदोहन आदि।
- ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन: मानवीय गतिविधियाँ, जैसे जीवाश्म ईंधन का जलना, वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों को छोड़ा जाता है। ये गैसें वातावरण को गर्म करती हैं, जिससे पृथ्वी का तापमान बढ़ जाता है।
- भूमि उपयोग परिवर्तन: जंगलों को काटना और अन्य भूमि उपयोग परिवर्तन वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड जैसे ग्रीनहाउस गैसों को छोड़ सकते हैं।
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव
जलवायु परिवर्तन के मुख्य प्रभाव निम्न हैं-
- ग्रीन हाउस प्रभाव तथा वैश्विक ताप में वृद्धि
- अम्लीय वर्षा
- ओजोन परत का क्षरण
- नाभिकीय दुर्घटनाएं
- प्रचण्ड अग्निकाण्ड
- भूस्खलन
- मरूस्थलीकरण
- मृदाक्षरण
- पर्यावरण प्रदूषण
- बाढ़
- अकाल
- भूकम्प
- तूफान
जलवायु परिवर्तन को कम करने के उपाय
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए अक्षय ऊर्जा स्रोतों और ऊर्जा दक्षता में निवेश किया जा सकता है।
- जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए तटीय क्षेत्रों में बाढ़ सुरक्षा और सूखा प्रतिरोधी कृषि जैसी अनुकूलन रणनीतियों को लागू किया जा सकता है।