भौतिकी में हम विभिन्न प्रकार की भौतिक राशियों जैसे द्रव्यमान, वेग, त्वरण इत्यादि का अध्ययन करते है। इन भौतिक राशियों को व्यक्त करने के लिये केवल परिमाण या परिमाण तथा दिशा दोनों की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिये द्रव्यमान को व्यक्त करने के लिये केवल परिमाण की आवश्यकता होती है जबकि बल को व्यक्त करने के लिये परिमाण तथा दिशा दोनों की आवश्यकता होती है। अत: वे भौतिक राशियाँ जिनको व्यक्त करने के लिये केवल परिमाण की आवश्यकता होती है अदिश कहलाते है तथा वे भौतिक राशियाँ जिनको व्यक्त करने के लिये परिमाण तथा दिशा दोनों की आवश्यकता होती है सदिश (Vector) कहलाते है। विस्थापन, वेग, त्वरण आदि सदिश राशियाँ है। जबकि द्रव्यमान, चाल, ताप आदि अदिश राशियाँ है| अदिश को केवल एक संख्या तथा मात्रक द्वारा पूर्णतया व्यक्त किया जा सकता है। जबकि सदिश (Vector) को उसके परिमाण की संख्या, मात्रक तथा दिशा द्वारा व्यक्त करते है। अदिशों के संयोजन, व्यवकलन, गुणन तथा भाजन में बीजगणित के सामान्य नियम लागू होते है। जबकि सदिशों के संयोजन,व्यवकलन,गुणन तथा भाजन में बीजगणित के सामान्य नियम लागू नहीं होते है। सदिश योग संबंधी समांतर चतुर्भुज नियम का पालन करते है।
अदिश राशि
द्रव्यमान, चाल, ताप आदि अदिश राशियाँ है| अदिश को केवल एक संख्या तथा मात्रक द्वारा पूर्णतया व्यक्त किया जा सकता है। जबकि सदिश (Vector) को उसके परिमाण की संख्या, मात्रक तथा दिशा द्वारा व्यक्त करते है। अदिशों के संयोजन, व्यवकलन, गुणन तथा भाजन में बीजगणित के सामान्य नियम लागू होते है।
प्रदिश राशि
यह आवश्यक नहीं है कि ऐसी भौतिक राशियाँ सदिश (Vector) होती है जिनके परिमाण तथा दिशा दोनों होती है। प्रतिबल एक ऐसी ही राशि है। कुछ भौतिक राशियों जैसे प्रतिबल,जड़त्व आघूर्ण, चुम्बकशीलता आदि न तो अदिश है और न ही सदिश। इन्हें प्रदिश राशियाँ (tensor quantities) कहते है। इनका परिमाण प्रत्येक दिशा में बदलता रहता है।
स्थिति सदिश
किसी कारण का स्थिति सदिश,
$$ r = x \hat{i}+ y \hat{j}+ z \hat{k} $$
जहां,
\(\hat{i}\) = x दिशा में एकांक सदिश.
\(\hat{j}\) = y दिशा में एकांक सदिश
\(\hat{k}\) = z दिशा में एकांक सदिश
विस्थापन सदिश
किसी कण का विस्थापन सदिश निम्न प्रकार से दिया जाता है,
$$\Delta\mathbf{r} = (x_2 – x_1) \hat{\imath} + (y_2 – y_1) \hat{\jmath} + (z_2 – z_1) \hat{k}$$
Δ r का परिमाण
$$|\Delta r| = \sqrt{(x_2 – x_1)^2 + (y_2 – y_1)^2 + (z_2 – z_1)^2}$$
सदिशों के प्रकार
ध्रुवीय सदिश
ऐसी सदिश राशियां जो रेखीय गति से संबंधित हो उन्हें ध्रुवीय सदिश कहते है। जैसे- विस्थापन, रेखीय त्वरण, रेखीय संवेग, रेखीय वेग आदि ध्रुवीय सदिश है।
अक्षीय सदिश
ऐसी सदिश राशियां जो किसी अक्ष के प्रति घूर्णन से संबंधित हो अक्षीय सदिश राशियां कहलाती है। जैसे- बल-यु्ग्म, कोणीय विस्थापन, कोणीय वेग, कोणीय संवेग आदि।
संरेखीय सदिश
दो या दो से अधिक सदिश जो एक ही रेखा के समांतर अथवा एक दूसरे के विपरीत हो तो उन्हें संरेखीय सदिश कहते है।
असमान सदिश
यदि दो सदिशों में उनके परिमाण या दिशा अथवा दोनों भिन्न-भिन्न हो, तो वे असमान सदिश कहलाते है।
ऋणात्मक सदिश
यदि दो सदिशों के परिमाण समान परंतु दिशा विपरीत हो, तो वे ऋणात्मक सदिश कहलाते है।
समतुल्य सदिश
दो या अधिक सदिशों के परिमाण व दिशा समान हो तो वे समतुल्य सदिश कहलाते है।
सह-प्रारंभिक सदिश
दो या अधिक सदिश जिनका एक ही प्रारंभिक बिंदु है, सह-प्रारंभिक सदिश कहलाते है।
एकांक सदिश
ऐसा सदिश जिसका परिमाण एक हो तथा जो किसी विशेष दिशा के अनुदिश हो एकांक सदिश या इकाई सदिश (Unit Vector) कहलाता है। एकांक सदिश मात्रकहीन तथा विमाहीन होते है। इकाई सदिश दिशा का बोध कराता है।
सदिश \(\vec{A}\) के एकांक सदिश को निम्न प्रकार से प्रर्दशित किया जाता है $$ \hat{A} = \frac{\vec{A}}{A}$$
एक त्रिविमीय कार्तीय निर्देश तंत्र की x, y तथा z अक्षों के अनुदिश एकांक सदिश \(\hat{i}\) , \(\hat{j}\) तथा \(\hat{k}\) होते है। ये सभी एकांक सदिश है, इसलिए
$$ \hat{i} = \hat{j} = \hat{k} = 1$$ ये एकांक सदिश एक दूसरे के लम्बवत् है।
शून्य सदिश
शून्य सदिश वह सदिश होता है जिसका परिणाम शून्य तथा दिशा निश्चित नहीं होती है।
शून्य सदिश (Zero or Null vector) सदिश \(\vec{A}\) तथा इसके विपरीत सदिश\(-\vec{A}\) के योग का परिणामी सदिश शून्य सदिश के बराबर होता है। $$ \vec{A} – \vec{A} = \vec{0}$$ यहां \(\vec{0}\) शून्य सदिश है।
शून्य सदिश का परिमाण शून्य तथा दिशा स्वेच्छ होती है।
शून्य सदिश के गुणधर्म
$$ \vec{A} + \vec{0} = \vec{A}$$ $$ \lambda \vec{A} = \vec{0}$$ $$ 0 \vec{A} = \vec{0}$$ यदि कोई वस्तु अपनी आरंभिक स्थिति से गति करना आरंभ करती है तथा कुछ समय बाद वापस अपनी आरंभिक स्थिति पर आ जाती है तो इस स्थिति में विस्थापन शून्य सदिश होता है।
परिणामी सदिश
परिणामी सदिश दो या दो से अधिक सदिशों को एकल सदिश द्वारा प्रदर्शित करता है, जो उन सभी सदिशों के सम्मिलित प्रभाव को दर्शाता है।
सदिशों का संयोजन
सदिशों का योग का त्रिभुज नियम
इस नियम में त्रिभुज की तीन भुजाओं में से दो भुजाएं एक ही क्रम में दो सदिशों \(\vec{A}\) तथा \(\vec{B}\) को व्यक्त करती है तथा तीसरी भुजा विपरीत क्रम में परिणामी सदिश \(\vec{R}\) को व्यक्त करती है। परिणामी सदिश \(\vec{R}\) दोनों सदिशों \(\vec{A}\) तथा \(\vec{B}\) के योग के बराबर होता है।
परिणामी सदिश $$ \vec{R} = \vec{A} + \vec{B}$$
सदिशों के योग का समांतर चतुर्भुज नियम
जब दो सदिशों \(\vec{A}\) तथा \(\vec{B}\) को समांतर चतुर्भुज की दो आसनों भुजाओं द्वारा व्यक्त किया जाता है तो इनके कटान बिन्दु से निकलने वाला विकर्ण परिणामी \(\vec{R}\) को व्यक्त करता है।
परिणामी सदिश $$ \vec{R} = \vec{A} + \vec{B}$$
यह सदिशों के योग का समांतर चतुर्भुज नियम है।
सदिश योग का बहुभुज नियम
जब दो या दो से अधिक सदिशों को किसी बहुभुज की क्रमागत भुजाओं द्वारा प्रदर्शित किया जाता है तो बहुभुज को बन्द करने वाली अंतिम भुजा विपरीत क्रम में परिणामी सदिश को प्रदर्शित करती है।।
परिणामी सदिश $$ \vec{R} = \vec{A} + \vec{B} + \vec{C} + \vec{D}$$
सदिशों का संयोजन: गणितीय विधि (Addition of Vectors : Mathematical Method )
माना दो सदिश \(\vec{A}\) तथा \(\vec{B}\) प्रदर्शित है जिनके मध्य कोण θ है तथा इनका परिणामी सदिश \(\vec{R}\) है। परिणामी सदिश \(\vec{R}\) , सदिश \(\vec{A}\) के साथ β कोण बनाता है
भुजा ON को P तक आगे बढ़ाते है और Q से एक लम्ब डालते है। अत: त्रिभुज NPQ में NP = B cosθ तथा PQ = B sinθ प्राप्त होती है।
अत: त्रिभुज OPQ से
R2 = ( A + B cosθ )2 + ( B sinθ )2
R = ( A2 + B 2 + 2 AB cosθ )½
यह परिणामी सदिश \(\vec{R}\) का परिमाण है।
माना परिणामी सदिश \(\vec{R}\), सदिश \(\vec{A}\) के साथ β कोण बनाता है। तब समकोण त्रिभुज OPQ से
$$\tan{\beta} = \frac{B \sin{\theta}}{A + B \cos{\theta}}$$
सदिश योग के गुणधर्म (Properties of Vector Addition)
- सदिशों का योग क्रम विनिमेय नियम का पालन करता है।$$ \vec{A} + \vec{B} = \vec{B} + \vec{A}$$
- सदिशों का योग साहचर्य नियम का पालन करता है।
$$(\vec{A} + \vec{B})+ \vec{C} = \vec{A} + (\vec{B} + \vec{C})$$
सदिशों का व्यवकलन (Subtraction of Vectors)
दो सदिशों \(\vec{A}\) तथा \(\vec{B}\) का अंतर ज्ञात करने के लिये सदिश \(\vec{B}\) का विपरीत सदिश -\(\vec{B}\) लेते है। सदिश \(\vec{A}\) तथा -\(\vec{B}\) के योग का परिणामी सदिश, सदिश \(\vec{A}\) तथा \(\vec{B}\) के अंतर के तुल्य होता है।
परिणामी सदिश $$ \vec{R} = \vec{A} + ( -\vec{B} ) = \vec{A} – \vec{B}$$
सदिशों का वियोजन (Resolution of Vectors)
सदिशों का वियोजन, सदिशों के संयोजन की विपरीत प्रक्रिया है। इसमें एकल सदिश, दो या दो से अधिक सदिशों में विभक्त हो जाता है, जो कि एकल सदिश के प्रभाव को दर्शाते है।
माना एक सदिश \(\vec{R}\), सदिश \(\vec{A}\) तथा \(\vec{B}\) में वियोजित होता है तो$$ \vec{R} = \vec{A} + \vec{B}$$
तब \(\vec{A}\) तथा \(\vec{B}\), \(\vec{R}\) के घटक सदिश कहलाते है।
सदिश गुणनफल या वज्र गुणनफल (Vector or Cross Product)
जब दो सदिश राशियों का गुणन इस प्रकार हो कि परिणामी गुणनफल एक सदिश राशि हो तो इसे सदिश गुणनफल कहते है।
किन्हीं दो सदिशों \(\vec{A}\) तथा \(\vec{B}\) के सदिश गुणनफल को निम्न प्रकार से व्यक्त करते है
$$ \vec{A} \times \vec{B} = A B sin \theta \hat{n}$$
यहां \(\hat{n}\) परिणामी सदिश की दिशा में एकांक सदिश है।
दो सदिशों \(\vec{A}\) तथा \(\vec{B}\) के सदिश गुणनफल से एक सदिश राशि प्राप्त होती है।
- जब दो सदिश \(\vec{A}\) तथा \(\vec{B}\) परस्पर समांतर या प्रति समांतर हो तब,
$$ \theta = 0^o or 180^o$$ अतः $$ \vec{A} \times \vec{B} = 0$$एकांक सदिशों का लिये $$ \hat{i} \times \hat{i} = \hat{j} \times \hat{j} = \hat{k} \times \hat{k} = 0$$
- जब दो सदिश \(\vec{A}\) तथा \(\vec{B}\) परस्पर लम्बवत हो तब, $$ \theta = 90^0$$ अतः $$ \vec{A} \times \vec{B} = AB \hat{n}$$
एकांक सदिशों का लिये
$$\hat{i} \times \hat{j} = \hat{k} , \hat{j} \times \hat{k} = \hat{i} , \hat{k} \times \hat{i} = \hat{j}$$
सदिश गुणनफल के गुणधर्म
- सदिश गुणनफल क्रम विनिमेय नियम का पालन नहीं करते है।
$$ \vec{A} \times \vec{B} = – \vec{B} \times \vec{A}$$ - सदिश गुणनफल वितरण नियम का पालन करते है|
$$ \vec{A} \times ( \vec{B} + \vec{C} ) = \vec{A} \times \vec{B} + \vec{A} \times \vec{C}$$
घटको के रुप में दो सदिशों \(\vec{A}\) तथा \(\vec{B}\) का अदिश गुणनफल
$$ \vec{A} \times \vec{B} = ( A_y B_z – A_z B_y ) \hat{i} +$$ $$( A_z B_x – A_x B_z ) \hat{j} + ( A_x B_y – A_y B_x ) \hat{k}$$
अदिश गुणनफल या बिन्दु गुणनफल (Scalar or Dot Product)
जब दो सदिश राशियों का गुणन इस प्रकार हो कि परिणामी गुणनफल एक अदिश राशि हो तो इसे अदिश या बिंदु गुणनफल कहते है।
किन्हीं दो सदिशों \(\vec{A}\) तथा \(\vec{B}\) के अदिश गुणनफल को निम्न प्रकार से व्यक्त करते है
$$ \vec{A} . \vec{B} = A B cos \theta $$
यहां θ दो सदिशों \(\vec{A}\) तथा \(\vec{B}\) के बीच का कोण है।
दो सदिशों \(\vec{A}\) तथा \(\vec{B}\) के अदिश गुणनफल से एक अदिश राशि प्राप्त होती है।
- जब दो सदिश \(\vec{A}\) तथा \(\vec{B}\) परस्पर समांतर हो तब, θ = 0० अतः $$ \vec{A} . \vec{B} = A B $$
एकांक सदिशों का लिये
$$ \hat{i} . \hat{i} = \hat{j} . \hat{j} = \hat{k}. \hat{k} = 1$$ - जब दो सदिश \(\vec{A}\) तथा \(\vec{B}\) परस्पर लम्बवत हो तब, θ= 90० अतः $$\vec{A}.\vec{B} = 0 $$एकांक सदिशों का लिये
$$ \hat{i} . \hat{j} = \hat{j} . \hat{k} = \hat{k}. \hat{i} = 0$$ - जब दो सदिश \(\vec{A}\) तथा \(\vec{B}\) प्रति समांतर हो तब, θ = 0० अतः $$ \vec{A} . \vec{B} = – AB $$
अदिश गुणनफल के गुणधर्म
- अदिश गुणनफल क्रम विनिमेय नियम का पालन करते है।
$$ \vec{A} . \vec{B} = \vec{B} . \vec{A}$$ - अदिश गुणनफल वितरण नियम का पालन करते है
$$ \vec{A} . ( \vec{B} + \vec{C} ) = \vec{A} . \vec{B} + \vec{A} . \vec{C}$$
घटको के रुप में दो सदिशों \(\vec{A}\) तथा \(\vec{B}\) का अदिश गुणनफल
$$\vec{A} . \vec{B} = A_x B_x + A_y B_y + A_z B_z $$