ब्रन्टलैंड प्रतिवेदन के अनुसार, “सतत् विकास वह विकास है जो वर्तमान की आवश्यकताओं की पूर्ति आगे की पीढ़ियों की आवश्यकताओं की बलि दिए बिना पूरी करता हो।”
सतत् विकास का अर्थ एक ऐसे विकास से है जो वर्तमान की आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ-साथ भविष्य की आवश्यकताओं का भी ध्यान रखे। विकास ऐसा हो जो केवल ढांचा खड़ा करने में ही विश्वास न रखता हो बल्कि अन्य पहलुओं जैसे मानव संसाधन के विकास, पर्यावरण सन्तुलन, संसाधनों का उचित रख-रखाव व संरक्षण, लाभों के समान वितरण हेतु उचित व्यवस्था आदि को भी ध्यान में रखता हो। जो किसी विभाग / संस्था या व्यक्ति पर निर्भर न रह कर स्वावलम्बी हो तथा स्थानीय निवासियों द्वारा संचालित हो। सतत् विकास में जनसहभागिता की बड़ी अहम भूमिका है।
सतत् विकास का उद्देश्य (Objectives of Sustainable Development)
सतत् विकास के मुख्य उद्देश्यों का वर्णन निम्नवत् है:
- सभी लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सतत् सुधारों का सृजन।
- आधारभूत आवश्यकताओं को पूरा करके आर्थिक वृद्धि को बढ़ाना अर्थात् जीवन स्तर को ऊपर उठाना।
- सार्वजनिक जीवन में भाग लेने का अवसर प्रदान करना तथा पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में सहायता करना।
- अन्तरप्रजननात्मक निष्पक्षता का संवर्धन।
- आर्थिक विकास के शुद्ध लाभों को अधिकतम बनाने का लक्ष्य रखना बशर्ते कि सभ पर्यावरणीय और प्राकृतिक साधनों का भण्डार सुरक्षित रहे।
- पर्यावरणीय भण्डार तथा भविष्य की पीढ़ियों को हानि पहुंचने बिना मानवीय एवं भौतिक पूंजी के संरक्षण और वृद्धि के लिए आर्थिक विकास को तीव्र करने का लक्ष्य रखना।
- दृढ सतत् विकास प्राप्त करने का लक्ष्य रखना ताकि प्राकृतिक पूंजी भण्डार कम न हो। इसके अतिरिक्त, दुर्बल सततीयता की आवश्यकता है कि भौतिक, मानवीय और प्राकृतिक पूंजी भण्डरों का मूल्य कम न हो।
सतत् विकास का मूलभूत स्वरूप (Basic Aspects of Sustainable Development)
विकासशील देशों की तीव्र गति से बढ़ती हुई जनसंख्या तथा विकसित देशों में बढ़ते हुए उपभोक्तावाद के कारण सतत् विकास प्राप्त करना कठिन कार्य हो गया है।
सतत् विकास प्राप्त करने के लिये निम्न पर ध्यान देना अति आवश्यक है-
- जैव-विविधला
- ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन
- खतरनाक कूड़े-करकट का प्रबंधन
- उद्योगों से निकलने वाले बड़े-करकट का प्रबंधन
- पारिस्थितिकी सुरक्षा
सतत् विकास के पूर्वापेक्षा (Prerequisites of Sustainable Development)
पारिस्थितिकी संतुलन को स्थापित करने के लिए आर्थिक विकास निम्न सिद्धांतों को ध्यान में रखकर करना चाहिए-
- प्राकृतिक संसाधनों का समुत्थान-शक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए।
- टेक्नोलॉजी विकास करते समय नवीकृत संसाधनों के संरक्षण का विशेष ध्यान रखा जाए।
- नवीकृत संसाधनों को उपयोग में लाने के लिए विशेष नीति तैयार की जाए।
धारणीय विकास के सिद्धांत (Principles of Sustanability)
- प्राकृतिक संसाधनों का सदुपयोग
- जैविक विविधता का संरक्षण
- सांस्कृतिक विविधता का संरक्षण
- पर्यावरण एवं संसाधनों से सतत् आय
- संसाधनों का उपयोग इस प्रकार किया जाए ताकि समाज के सभी वर्गों को लाभ पहुंच सके।
- संसाधनों का पुर्नउपयोग
- मानव का गुणात्मक विकास। मानव विकास के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य तथा प्रति व्यक्ति आय पर विशेष ध्यान देना
- सतत् विकास के लिए विश्व परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखना
- समाज के सभी वर्गों के संसाधनों का सदुपयोग करना
- मानव समाज अपनी मान्यताओं में परिवर्तन करे और यह समझे कि पृथ्वी पर संसाधन सीमित है।
- विश्व के सभी समुदायों द्वारा आने वाली पीढ़ियों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखा जाए
- सतत् विकास के लिए सभी व्यक्तियों एवं समाजों की सबल भागीदारी
सतत् विकास की विशेषताएं (Key Features of Sustainable Development)
सतत् विकास की संकल्पना की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित है-
- सतत् विकास एक प्रक्रिया है, जिसमें पर्यावरणीय, सामाजिक व आर्थिक संसाधनों के दोहन को इस तरह लागू करने पर जोर दिया जाता है कि संसाधन पूर्ण रूप से नष्ट न हो। भविष्य में संसाधनों के पुनः उपयोग को महत्त्व दिया जाता है।
- सामाजिक लक्ष्य के रूप में प्रत्येक व्यक्ति जीवन की गुणवत्ता को बनाए रखना चाहता है। जीवन की गुणवत्ता के मुख्य पहलू है शिक्षा, आवास, स्वास्थ्य व पर्यावरणीय संरक्षण।
- सतत् विकास का प्रयोजन वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए औसत जीवन गुणवत्ता को बनाए रखना होता है।
- सतत् विकास में आर्थिक के साथ-साथ सामाजिक ममता व पर्यावरणीय गुणवत्ता को भी महत्त्व दिया जाता है।
- इस अवधारणा में समता प्रमुख होती है। अर्थात् धनी एवं गरीब के बीच पीढ़ियों के बीच और राष्ट्रों के बीच विकास की लागत और लाभों के उचित वितरण को सतत् विकास में प्रमुखता दी जाती है।
- इसमें सामाजिक, आर्थिक व पर्यावरणीय उद्देश्यों के बीच सम्बन्धों की स्थापना करने का प्रयत्न किया जाता है।
सतत् विकास के 17 लक्ष्य (17 Sustainable Development Goals)
समाज में न्याय व शांति सतत् विकास का समाज में न्याय व शांति स्थापित करना एक महत्त्वपूर्ण लक्ष्य है जिसका उद्देश्य समाज में न्याय तथा शांति स्थापित कर न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करना है।
गरीबी को समाप्त करना टिकाऊ विकास का एक महत्त्वपूर्ण लक्ष्य गरीबी को पूर्णतः समाप्त कर एक शांतिपूर्ण व सभ्य समाज की स्थापना करना है। अभी गरीब उन लोगों को माना जाता है जो लगभग रु. 96 में प्रतिदिन अपना गुजारा करते हैं।
मुखमरी (अकाल) को पूर्णता समाप्त करना से समाप्त कर टिकाऊ कृषि, खाद्य सुरक्षा तथा धारणीय विकास के इस लक्ष्य में भुखमरी को पूरी तरह बेहतर पोषण को प्राथमिकता दी जाएगी।
लक्ष्य प्राप्ति के लिए सामूहिक साझेदारी सतत् विकास के इस लक्ष्य में वैश्विक भागीदारी को पुनर्जीवित करने के साथ साथ किसी निश्चय को कार्य रूप में बदलने वाले साधनों को मजबूत बनानনা है।
भूमि संरक्षण टिकाऊ विकास का एक महत्त्वपूर्ण लक्ष्य भूमि संरक्षण (भूमि पर जीवन) है टिकाऊ विकास को बढ़ावा देने वाले स्थलीय पारिस्थितिकी प्रणाली, मृदा अपरदन, सुरक्षित जंगलों तथा जैव विविधता के बढ़ते नुकसान को रोकना है।
जल संरक्षण इस लक्ष्य में टिकाऊ विकास के लिए समुद्र व समुद्री संसाधनों, महासगरों तथा जल के अन्य स्रोतों का संरक्षण करना है।
जलवायु परिवर्तन धारणीय विकास का एक मुख्य लक्ष्य जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले नुकसान या प्रभावों से बचने के लिए तत्काल कार्यवाही सुनिश्चित कर इससे सम्बन्धित संसाधनों का विकास करना है।
उपभोग व उत्पादन प्रणाली को सशक्त बनाना इस लक्ष्य के द्वारा उपभोग व उत्पादन प्रणाली
को मजबूत और टिकाऊ बनाना है। सामुदायिक तथा शहरी विकास इस लक्ष्य के द्वारा शहरों व मानव बस्तियों को सुरक्षित, लचीला, मजबूत व शांतिपूर्ण बनाना है।
असमानता में कभी इस विकास प्रणाली का मुख्य लक्ष्य देश की अर्थव्यवस्था में वृद्धि कर देश के
भीतर व देशों के बीच असमानता को कम करना है।
उद्योग व बुनियादी ढांचे का विकास औद्योगिकरण को बढ़ावा देना। इस लक्ष्य के द्वारा सशक्त मूलभूत ढांचा बनाना तथा टिकाऊ
अच्छा रोजगार व आर्थिक विकास इसका मुख्य उद्देश्य सभी के लिए अच्छा रोजगार उपलब्ध कराने के साथ-साथ टिकाऊ विकास व उत्पादक रोजगार को प्रोत्साहित करना है।
सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा इसका मुख्य उद्देश्य सभी के लिए सस्ती, स्वच्छ व भरोसेमंद ऊर्जा तक पहुंच सुनिश्चित करना जो पर्यावरण के अनुकूल भी हो।
स्वच्छ पानी तथा स्वच्छता को प्रोत्साहन इसके द्वारा सभी के लिए स्वच्छ पानी उपलका कराकर,
स्वच्छ पानी व स्वच्छता की प्रणाली को सशक्त बनाना है।
लैंगिक समानता इसके द्वारा लैंगिक समानता प्राप्त करने के साथ-साथ महिलाओं और लडकियों को
हर क्षेत्र में विकास के लिए प्रोत्साहित करना।
अच्छी शिक्षा इस लक्ष्य के द्वारा सभी के लिए अच्छी शिक्षा तथा पहुंच सुनिश्चित कर गुणवत्तापूर्ण
शिक्षा को बढ़ावा देना जिससे सभी को अच्छा रोजगार मिले तथा बेरोजगारी जैसी समस्याओं को दूर किया जा सके।
अच्छा स्वास्थ्य इसके द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं का विकास कर, स्वास्थ्य तथा जीवन स्तर में सुधार करना है।