ऐसे पौधे जिनका उपयोग विभिन्न रोगों के उपचार में किया जाता है, औषधीय पौधे कहलाते हैं।
नीम (Azadirachta indica)
इसकी ऊंचाई 20 मीटर तक होती है। इसकी एक टहनी में करीब 9-12 पत्ते पाए जाते है। इसके फूल सफ़ेद रंग के होते हैं और इसकी पत्तियां हरी होती है जो पकने पर हल्की पीली–हरी हो जाती है।
तुलसी (ocimum sanctum)
तुलसी एक झाड़ीनुमा पौधा है। इसके फूल गुच्छेदार तथा बैंगनी रंग के होते हैं तथा इसके बीज घुठलीनुमा होते है।
ब्राम्ही (hydrocotyle asiatica)
यह साग पानी की प्रचुरता में सालो भर हरी भरी रहने वाली छोटी लता है जो अक्सर तालाब या खेत माय किनारे पायी जाती है। इसके पत्ते गुदे के आकार (1 /2 -2 इंच) के होते हैं। यह हरी चटनी के रूप में आदिवासी समाज में प्रचलित है ।
ब्राम्ही (cetella asiatica)
यह अत्यंत उपयोगी एवं गुणकारी पौधा है । यह लता के रूप में जमीन में फैलता है। इसके कोमल तने 1-3 फीट लम्बी और थोड़ी थोड़ी दूर पर गांठ होती है। इन गांठो से जड़े निकलकर जमीन में चली जाती है। पत्ते छोटे,लम्ब,अंडाकार,चिकने,मोटे हरे रंग के तथा छोटे–छोटे होते हैं सफ़ेद हल्के नीले गुलाबी रंग लिए फूल होते हैं। यह नमी वाले स्थान में पाए जाते हैं ।
हल्दी (curcuma longa)
हल्दी के खेतों में तथा बगान में भी लगया जाता है। इसके पत्ते हरे रंग के दीर्घाकार होते हैं। इसका जड़ उपयोग में लाया जाता है। कच्ची हल्दी के रूप में यह सौन्दर्यवर्द्धक है। सुखी हल्दी को लोग मसाले के रूप में इस्तेमाल करे हैं। हल्दी रक्तशोधक और कफ नाशक है ।
आंवला (Phyllanthus emblica)
इसका वृक्ष 5-10 मीटर ऊँचा होता है । आंवला स्वाद में कटु, तीखे, खट्टे, मधुर , और कसैले होते हैं। आंवले में विटामिन सी की मात्रा अधिक होती है।उसके फूल पत्तीओं के नीचे गुच्छे के रूप में होती है।इनका रंग हल्का हरा तथा सुगन्धित होता है इसके छाल धूसर रंग के होते हैं। इसके छोटे पत्ते 10 – 13 सेंटी मीटर लम्बे टहनियों के सहारे लगा रहता है इसके फल फरवरी –मार्च में पाक कर तैयार हो जाते हैं जो हरापन लिए पिला रहता है ।