कोशिकांग

कोशिका द्रव्य में पाए जाने वाले मुख्य कोशिकांगों का विवरण निम्नानुसार है:

लाइसोसोम

इनमें बहुत शक्तिशाली पाचक एन्जाइम होते हैं। जब कोशिका क्षतिग्रस्त या मृत हो जाती है तो लाइसोसोम फट जाते हैं और पाचक एन्जाइम अपनी ही कोशिका को पचा देते हैं इसलिए इसे कोशिका की आत्मघाती थैली भी कहा जाता है।

गॉल्जीकॉय

ये झिल्ली युक्त पट्टिकाएँ होती हैं जो एक के ऊपर एक व्यवस्थित रहती हैं। इसका विवरण सबसे पहले कैमिलो गॉल्जी नामक वैज्ञानिक ने दिया था। अन्तःप्रद्रव्यी जालिका में संश्लेषित पदार्थ गाल्जी उपकरण में बंद किए जाते हैं तथा उन्हें कोशिका के अन्दर तथा बाहर विभिन्न क्षेत्रों में भेज दिए जाते हैं।

माइटोकोन्ड्रिया

माइटोकॉन्ड्रिया दोहरी इकाई झिल्ली से ढका कोशिकांग है। इसकी बाहरी झिल्ली छिद्रित होती है तथा भीतरी झिल्ली बहुत वलित होती है। इसके वलितों को क्रिस्टी कहते हैं। ये वलय ATP-बनाने वाली रासायनिक क्रियाओं के लिए एक बड़ा क्षेत्र बनाते हैं। माइटोकोन्ड्रिया में जैविक ऊर्जा एटीपी का निर्माण होता है। इस कारण इसे कोशिका का बिजलीघर या शक्ति गृह (PowerHouse) कहते हैं। जीवन के लिए आवश्यक विभिन्न रासायनिक क्रियाओं को करने हैं के लिए माइटोकॉन्ड्रिया ATP (ऐडिनोसिन ट्राइफॉस्फेट) के रूप में ऊर्जा प्रदान करते हैं। ATP कोशिका की ऊर्जा है। शरीर नए रासायनिक यौगिकों को बनाने तथा यांत्रिक कार्य के लिए ATP में संचित ऊर्जा का उपयोग करता है।
माइटोकॉन्ड्रिया में उसका अपना DNA तथा राइबोसोम होते हैं। अत: माइटोकॉन्ड्रिया अपना कुछ प्रोटीन स्वयं बनाते हैं।

अन्तःप्रद्रव्यी जालिका

यह कोशिका द्रव्य में नलिकाओं के जाल के रूप में दिखाई देने वाली संरचनाएँ हैं। ये दो प्रकार की होती है- खुरदरी अन्तःप्रद्रव्यी जालिका तथा चिकनी अन्तःप्रद्रव्यी जालिका।

खुरदरी अन्तःप्रद्रव्यी जालिका पर राइबोसोम पाए जाते हैं जो प्रोटीन संश्लेषण का कार्य करते हैं।

लवक

लवक केवल पादप कोशिकाओं के कोशिका द्रव्य में पाए जाते है। लवक दो प्रकार के होते है: वर्णी लवक एवं अवर्णी लवक।
जिस लवक में पर्णहरित (क्लोरोफिल) वर्णक होता है, उसे हरितलवक (क्लोरोप्लास्ट) कहते है। इनके कारण पत्तियों का रंग हरा होता है जिससे पेड़ पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा भोजन बनाते है। वर्णी लवक में स्टार्च, तेल तथा प्रोटीन जेसे भोज्य पदार्थ संचित होते है‌।

हरितलवक

जिस लवक में पर्णहरित (क्लोरोफिल) वर्णक होता है, उसे हरित लवक (क्लोरोप्लास्ट) कहते है। इनके कारण पत्तियों का रंग हरा होता है जिससे पेड़ पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा भोजन बनाते है। हरितलवक दोहरी झिल्ली से परिबद्ध कोशिकांग है। हरितलवक ऐसा कोशिकांग है जो सौर ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में बदलता है। हरित लवक केवल पादप कोशिकाओं में पाए जाते है।

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