ऊर्जा क्या है? ऊर्जा संरक्षण का नियम क्या है?

किसी पिंड के कार्य (work) करने की क्षमता को ऊर्जा (energy) कहते है।
ऊर्जा (Energy) कई रुपों में मिलती है जैसे प्रकाश ऊर्जा , विद्युत ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा, यांत्रिक ऊर्जा इत्यादि।।
ऊर्जा (Energy) को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है। ऊर्जा को हम केवल एक रुप से दूसरे रुप में परिवर्तित कर सकते है। इसे ऊर्जा संरक्षण का नियम कहते है।
इस ब्रह्मांड में कुल ऊर्जा नियत रहती है लेकिन कोई यह नहीं जानता कि कुल ऊर्जा कितनी है।। ऊर्जा को हम संगृहीत कर सकते है तथा किसी अन्य पदार्थ में स्थानांतरित कर सकते है। स्थानांतरित की गई ऊर्जा को हम माप सकते है।

ऊर्जा की SI यूनिट जूल तथा CGS यूनिट अर्ग है।
ऊर्जा के रूपांतरण गुणक निम्नलिखित है

  • 1 calorie = 4.2 joule
  • 1 erg = 10-7 joule
  • 1 kilowatt hour ( kWh ) = 3.6 ×106 joule
  • 1 electron volt ( eV ) = 1.6 × 10-19 joule

ऊर्जा की विमाएं कार्य की विमाओं के समान ही होती है।

ऊर्जा संरक्षण का नियम

ऊर्जा संरक्षण के नियम के अनुसार ऊर्जा ( Energy ) को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट। ऊर्जा ( Energy ) को केवल एक रुप से दूसरे रुप में परिवर्तित किया जा सकता है।

यांत्रिक ऊर्जा (Mechanical energy)

किसी पिंड में उसकी स्थिति अथवा गति के कारण निहित ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा कहते है।

यांत्रिक ऊर्जा दो प्रकार की होती है-

  1. गतिज ऊर्जा
  2. स्थितिज ऊर्जा

किसी system की स्थितिज ऊर्जा एवं गतिज ऊर्जा system की कुल यांत्रिक ऊर्जा कहलाती है।

किसी समय किसी system की सम्पूर्ण ऊर्जा, स्थितिज ऊर्जा अथवा गतिज ऊर्जा के रुप में हो सकती है।

यांत्रिक ऊर्जा का मान निर्देश तंत्र पर निर्भर करता है। जब कोई system बद्ध अवस्था में होता है तो उसकी यांत्रिक ऊर्जा ऋणात्मक होती है।

यांत्रिक ऊर्जा संरक्षण नियम के अनुसार संरक्षी बलों की उपस्थिति में किसी पिण्ड की गतिज ऊर्जा एवं स्थितिज ऊर्जा का योग अचर होता है।

गतिज ऊर्जा + स्थितिज ऊर्जा = अचर

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