पारिस्थतिकी तंत्र जीव मण्डल की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई हैं एवं इसमें स्वतः जीवित रहने का गुण है। यह एक खुला तंत्र है एवं सूर्य की ऊर्जा पर निर्भर रहता है। पारिस्थितिकी तंत्र छोटे एवं बड़े भी होते हैं। आस पास के तंत्रों में खनिज पदार्थों एवं ऊर्जा का लगातार आदान-प्रदान होता रहता है। अतः ये सभी तंत्र एक दूसरे से संबंधित है एवं आपस में जुड़े रहते हैं। आपस में जुड़े सभी पारिस्थितिक तंत्रों के जाल को जीव मण्डल कहते हैं।
सर्वप्रथम ब्रिटिश पारिस्थितिक विज्ञ आर्थर टेन्सले (Arthur Tansley, 1935) ने पारिस्थितिक तंत्र शब्द का उपयोग किया। यह जैविक एवं अजैविक घटकों का बना होता है।
यूजिन पी. ओडम (Eugene P.Odum) के अनुसार पारिस्थितिकी तंत्र, पारिस्थितिकी की मूलभूत इकाई हैं जिसमें उपस्थित जैविक एवं अजैविक घटक एक दूसरे से अंतःक्रिया करते हैं एवं दोनों घटक जीवन के सातत्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। प्राणि समभोजी (Holozoic) जन्तु अपना भोजन स्वयं नहीं बनाते हैं एवं स्वयं की भोजन पूर्ति हेतु ये पादपों पर प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से निर्भर रहते हैं। यद्यपि पादप अपना भोजन संश्लेषित करते हैं परन्तु फिर भी ये विभिन्न अजैविक कारकों पर निर्भर रहते हैं। यदि व्यापक रूप से देखें तो धरा जिस पर हम रहते हैं, स्वयं एक वृहद पारिस्थितिक तंत्र (Giant ecosystem) हैं जिसके विभिन्न (जैविक एवं अजैविक) घटक पारस्परिक क्रिया करते रहते हैं। इसी कारण पारिस्थितिक तंत्र में संरचनात्मक एवं क्रियात्मक परिवर्तन होते रहते हैं।
पारिस्थितिक तंत्रों के प्रकार (Kinds of Ecosystems)
पारिस्थितिक तंत्रों को मुख्य रूप से दो प्रकारों में विभाजित किया गया है, वे है:-
(अ) प्राकृतिक (Natural) (ब) कृत्रिम (Artificial)
(अ) प्राकृतिक (Natural): ये तंत्र प्राकृतिक दशाओं में स्वतः प्रचलित (operate) होते है। इनमें मानवीय हस्तक्षेप बहुत कम होता है। आवास (habitat) के आधार पर इन्हें दो प्रकारों में विभक्त किया जाता है :-
(i) स्थलीय (Terrestrial): इसमें वन, घासस्थल और मरूस्थलीय इत्यादि सम्मिलित हैं।
(ii) जलीय (Aquatic): इसमें स्वच्छ जलीय (Fresh water) व समुद्री (marine) पारिस्थितिक तंत्र सम्मिलित हैं। इन सभी प्रकार के पारिस्थितिकी तंत्रों का परिचयात्मक वर्णन यहां दिया जा रहा है।
स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र (Terrestrial Ecosystem)
इसमें अनेक प्रकार के उप तंत्र पाये जाते हैं उनमें से यहां पर वन तंत्र, घास के मैदानों का तंत्र तथा मरूस्थलीय तंत्रों का