संपीडित प्राकृतिक गैस(CNG): उत्पादन से लेकर सुरक्षा तक पूरी जानकारी

परिचय

ऊर्जा के स्रोत इंसान के जीवन में सबसे अहम भूमिका निभाते हैं। औद्योगिक क्रांति के बाद से ही पेट्रोलियम उत्पाद जैसे पेट्रोल और डीज़ल ऊर्जा के प्रमुख साधन रहे हैं। लेकिन इनसे बढ़ते प्रदूषण, पर्यावरणीय नुकसान और आयात पर निर्भरता ने वैकल्पिक ईंधन की खोज को जन्म दिया। ऐसे में संपीडित प्राकृतिक गैस (CNG) एक सुरक्षित, स्वच्छ और किफ़ायती विकल्प के रूप में सामने आई।

पेट्रोलियम खनन के समय प्राप्त गैसें प्राकृतिक गैस कहलाती है। प्राकृतिक गैस को जब उच्च ताप पर संपीडित किया जाता है तो इसे संपीडित प्राकृतिक गैस ( Compressed natural gas, CNG ) कहा जाता है। संपीडित प्राकृतिक गैस के रूप मे लगभग से मीथेन युक्त हाइड्रोकार्बन का एक मिश्रण में कम ऊर्जा घनत्व होता है क्योंकि इसे 200 से 250 किग्रा / सेमी 2 के दबाव पर संपीड़ित किया जाता है। यह सीसा रहित होती है। इसमें कार्बन मोनोऑक्साइड एवं कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा कम होती है, अतः यह पर्यावरण के लिए कम हानिकारक है। इनका उपयोग वाहनों में ईंधन के रूप में किया जाता है।

CNG क्या है?

CNG यानी Compressed Natural Gas, प्राकृतिक गैस का ही एक रूप है जिसे उच्च दबाव पर संपीडित करके उपयोग में लाया जाता है। प्राकृतिक गैस का मुख्य घटक मीथेन (CH₄) होता है, जो एक हल्की, ज्वलनशील और स्वच्छ ईंधन है।

यह सामान्य गैस की तुलना में 200 से 250 बार तक दबाव में संपीडित की जाती है।

CNG की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह द्रव रूप में नहीं बल्कि गैसीय रूप में रहती है।

यह हवा से हल्की होती है, इसलिए रिसाव होने पर ऊपर उठकर वातावरण में फैल जाती है, जिससे विस्फोट का खतरा कम होता है।

CNG का उत्पादन कैसे होता है?

CNG का उत्पादन एक बहु-चरणीय प्रक्रिया है जिसमें गैस को भूमिगत भंडार से निकालकर शुद्ध किया जाता है और फिर उच्च दबाव में संपीडित किया जाता है।

1. प्राकृतिक गैस का उत्खनन

प्राकृतिक गैस भूमिगत भंडार या समुद्र के नीचे पाए जाने वाले गैस फील्ड से निकाली जाती है।

ड्रिलिंग तकनीक के जरिए गैस को सतह तक लाया जाता है।

2. शुद्धिकरण (Purification)

गैस को शुद्ध करने की प्रक्रिया में पानी, कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड और अन्य अशुद्धियाँ हटाई जाती हैं।

इस प्रक्रिया के बाद केवल मीथेन का शुद्ध रूप बचता है।

3. संपीडन (Compression)

विशेष कम्प्रेसर मशीन का उपयोग करके गैस को 200-250 बार दबाव तक संपीडित किया जाता है।

इससे गैस का वॉल्यूम घट जाता है और इसे आसानी से टैंकों या सिलेंडरों में स्टोर किया जा सकता है।

4. संग्रहण और वितरण

तैयार CNG को विशेष हाई-प्रेशर टैंकों में स्टोर किया जाता है।

इसे पाइपलाइन या ट्रकों की मदद से CNG स्टेशनों तक पहुँचाया जाता है।

इसके बाद इसे वाहनों और घरेलू उपयोग के लिए उपलब्ध कराया जाता है।

CNG के फायदे

CNG के उपयोग के कई लाभ हैं, जिसकी वजह से यह तेजी से लोकप्रिय हो रही है।

1. पर्यावरण अनुकूल

CNG के जलने पर कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर उत्सर्जन बहुत कम होता है।

यह पेट्रोल और डीज़ल की तुलना में लगभग 70-80% कम प्रदूषण करती है।

2. किफ़ायती ईंधन

CNG की कीमत पेट्रोल और डीज़ल की तुलना में काफी कम होती है।

एक वाहन चलाने की प्रति किलोमीटर लागत लगभग आधी पड़ती है।

3. इंजन की उम्र बढ़ाता है

CNG में कार्बन जमा नहीं होता, जिससे इंजन के हिस्से लंबे समय तक अच्छे रहते हैं।

यह वाहन की मेंटेनेंस लागत को भी कम करता है।

4. सुरक्षा की दृष्टि से बेहतर

यह हवा से हल्की होती है, इसलिए रिसाव होने पर ऊपर उड़ जाती है।

पेट्रोल या डीज़ल की तरह जमीन पर फैलकर आग पकड़ने का खतरा नहीं होता।

5. घरेलू और औद्योगिक उपयोग

वाहनों के अलावा CNG का उपयोग घरों, रेस्त्रां और उद्योगों में भी किया जाता है।

बिजली उत्पादन में भी CNG का उपयोग बढ़ रहा है।

CNG से होने वाले नुकसान और चुनौतियाँ

जहाँ एक ओर CNG के कई फायदे हैं, वहीं कुछ चुनौतियाँ भी मौजूद हैं।

CNG स्टेशनों की कमी – भारत में अभी CNG स्टेशन सीमित हैं, खासकर छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में।

लंबा समय लगना – CNG भरने में पेट्रोल/डीज़ल की तुलना में ज्यादा समय लगता है।

सिलेंडर की जगह – गाड़ियों में CNG सिलेंडर बड़ा होता है और डिक्की की जगह घेर लेता है।

कन्वर्ज़न लागत – पेट्रोल गाड़ियों को CNG में बदलने के लिए 30,000 से 50,000 रुपये तक खर्च आता है।

लंबे सफ़र में दिक्कत – हाईवे पर CNG स्टेशनों की कमी के कारण लंबी यात्रा में परेशानी होती है।

CNG उपयोग में सुरक्षा नियम

CNG का उपयोग सुरक्षित है, लेकिन सही तरीके से उपयोग करने पर ही यह पूरी तरह लाभकारी होता है।

सर्टिफाइड किट का इस्तेमाल करें – केवल सरकारी मान्यता प्राप्त केंद्र से ही CNG किट लगवाएँ।

नियमित जांच – हर 6 महीने में सिलेंडर और पाइपलाइन की जांच करवाएँ।

स्टार्टिंग और शटडाउन प्रोटोकॉल – गाड़ी स्टार्ट और बंद करते समय पहले पेट्रोल मोड का इस्तेमाल करें।

रिसाव की गंध पर सतर्क रहें – गैस रिसाव की गंध आते ही गाड़ी रोकें और इंजीनियर को बुलाएँ।

खुले स्थान पर पार्किंग करें – बंद जगहों पर गैस रिसाव से खतरा हो सकता है।

भारत में CNG का भविष्य

भारत सरकार ग्रीन एनर्जी मिशन के तहत CNG नेटवर्क का तेजी से विस्तार कर रही है।

2030 तक देश में लाखों किलोमीटर की पाइपलाइन और नए CNG स्टेशन स्थापित करने का लक्ष्य है।

सरकार का उद्देश्य है कि अधिक से अधिक वाहन पेट्रोल/डीज़ल से हटकर CNG पर चलें।

यह न केवल पर्यावरण को बचाएगा बल्कि भारत की विदेशी तेल पर निर्भरता भी कम करेगा।

निष्कर्ष

संपीडित प्राकृतिक गैस (CNG) आज के समय की जरूरत और भविष्य दोनों है। यह पर्यावरण को सुरक्षित रखती है, आम जनता के खर्च को कम करती है और ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।