जीवमंडल स्थल, जल तथा हवा के बीच का एक सीमित भाग है। यह वह भाग है जहाँ जीवन मौजूद है। यहाँ जीवों की बहुत सी प्रजातियाँ हैं, जो कि सूक्ष्म जीवों तथा बैक्टीरिया से लेकर बड़े स्तनधारियों के आकार में पाई जाती हैं। मनुष्य सहित सभी प्राणी, जीवित रहने के लिए एक-दूसरे से तथा जीवमंडल से जुड़े हुए हैं।
जीवमंडल के प्राणियों को मुख्यतः दो भागों-जंतु जगत एवं पादप-जगत में विभक्त किया जा सकता है। पृथ्वी के ये तीनों परिमंडल आपस में पारस्परिक क्रिया करते हैं तथा एक दूसरे को किसी न किसी रूप में प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, लकड़ी तथा खेती के लिए वनों को काटा जाए तो इससे ढलुआ भाग पर मिट्टी का कटाव तेज़ी से होने लगता है। इसी प्रकार, प्राकृतिक आपदाएँ जैसे भूकंप से पृथ्वी की सतह में परिवर्तन हो जाता है। हाल ही में, सुनामी के कारण अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूहों का कुछ भाग पानी में डूब गया। झीलों तथा नदियों में दूषित पदार्थों के प्रवाहित होने से उनका जल मानव के इस्तेमाल के लायक नहीं रह जाता है। यह जल दूसरे जीवों को भी नुकसान पहुँचाता है।
उद्योगों, तापीय विद्युत संयंत्रों तथा गाड़ियों का उत्सर्जी पदार्थ वायु को प्रदूषित करता है। कार्बन डाइऑक्साइड वायु का एक महत्त्वपूर्ण घटक है। लेकिन कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में वृद्धि के कारण पृथ्वी के तापमान में वृद्धि हो रही है। इसे भूमंडलीय तापन कहा जाता है। इसलिए भूमंडल, वायुमंडल तथा जलमंडल के बीच के प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने के लिए पृथ्वी के संसाधनों के सीमित उपयोग की आवश्यकता है।
जैवजैवमंडल आरक्षित क्षेत्र (Biosphere reserve) विशेष प्रकार के भौमिक और तटीय परिस्थितिक तंत्र हैं, जिन्हें यूनेस्को (UNESCO) के मानव और जैवमंडल प्रोग्राम (MAB) के अंतर्गत मान्यता प्राप्त है। जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र (निचय) राष्ट्रीय सरकारों द्वारा नामित किए जाते हैं और उन राज्यों के संप्रभु अधिकार क्षेत्र में रहते हैं जहां वे स्थित हैं। जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र अपने स्थायी उपयोग के साथ जैव विविधता के संरक्षण को समेटने वाले समाधानों को बढ़ावा देते हैं। जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र (निचय) में स्थलीय, समुद्री और तटीय पारिस्थितिक तंत्र शामिल हैं। इनका उद्देश्य जैवविविधता संरक्षण के साथ-साथ ऐसे सुरक्षित क्षेत्र की स्थापना करना है जहां पारिस्थितिकी एवं पर्यावरणीय जीव विज्ञान के आधारभूत एवं विशिष्ट शोध कार्य किये जा सकें।
वर्तमान में 131 देशों में 727 जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र हैं, जिनमें 22 ट्रांसबाउंड्री साइट शामिल हैं, जो कि जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र के वैश्विक नेटवर्क (World network of Biosphere reserves- WNBR) से संबंधित हैं। विश्व का पहला बायोस्फीयर रिजर्व 1979 में स्थापित किया गया था। भारत में 18 जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र हैं। इनमें से 12 जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र यूनेस्को द्वारा जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र विश्व नेटवर्क पर मान्यता प्राप्त हैं।
जैव मंडल आरक्षित क्षेत्र के उद्देश्य
जैव मंडल आरक्षित क्षेत्रों के प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं:
पर्यावरण संरक्षण:
- विविध प्राकृतिक परिदृश्यों और जीवों की विविधता का संरक्षण।
- खतरे में पड़ी प्रजातियों और उनके निवास स्थानों की सुरक्षा।
- पारिस्थितिकी तंत्र की संरचना और उसके संरक्षण की आवश्यक प्रक्रियाओं का अध्ययन।
वैज्ञानिक अनुसंधान:
- जीवों की विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र पर वैज्ञानिक शोध को प्रोत्साहन।
- पर्यावरणीय जागरूकता और शिक्षा कार्यक्रमों का विकास।
- पारंपरिक ज्ञान और प्रथाओं को संग्रहित करना और उनका संरक्षण करना।
शैक्षिक और प्रशिक्षण कार्यक्रम:
- स्थानीय आबादी को जैव विविधता के महत्व और संरक्षण की तकनीकों की शिक्षा देना।
- पर्यावरण प्रबंधन और टिकाऊ विकास के लिए प्रशिक्षण सत्र आयोजित करना।
- युवा पीढ़ी को वैज्ञानिक शोध और संरक्षण कार्यों में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित करना।
जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र के कार्य (Function of Biosphere reserve)
जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र की योजना और प्रबंधन में स्थानीय समुदायों और सभी इच्छुक हितधारकों को शामिल करते हैं। वे तीन मुख्य “कार्यों” को एकीकृत करते हैं:
संरक्षण (Conservation)
जैव विविधता और सांस्कृतिक विविधता का संरक्षण अर्थात वन्यजीवों के साथ आदिवासियों की संस्कृति और रीति-रिवाजों का भी संरक्षण
विकास (Development)
आर्थिक विकास जो सामाजिक-सांस्कृतिक और पर्यावरणीय रुप से टाकाऊ हो। यह सतत् विकास के तीन स्तंभों को मज़बूत करता है: सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरण का संरक्षण।
वैज्ञानिक अनुसंधान, निगरानी एवं शिक्षा
स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संरक्षण एवं सतत् विकास के संदर्भ में अनुसंधान गतिविधियों, पर्यावरण शिक्षा, प्रशिक्षण तथा निगरानी को बढ़ावा देना।
जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र की संरचना
जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र के तीन कार्यों को जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र के तीन मुख्य क्षेत्रों के माध्यम से आगे बढ़ाया जाता है। ये 3 क्षेत्र निम्नवत् होते हैं: क्रोड क्षेत्र, बफर क्षेत्र तथा संक्रमण क्षेत्र।
क्रोड क्षेत्र (Core Zones)
क्रोड क्षेत्र वन्यजीवों के संरक्षण के लिए पूर्णतया सुरक्षित है। यह एक ऐसा पारितंत्र है जिसमें किसी विशेष उद्देश्य के लिए अनुमति को छोड़कर प्रवेश की अनुमति नहीं है। इस क्षेत्र में स्थानिक एवं जैव विविधता की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण पौधों एवं वन्यजीवों के अनुकूल आवास पाए जाते हैं। क्रोड क्षेत्र में ऐसै वैज्ञानिक अनुसंधान नहीं किये जा सकते जो प्राकृतिक क्रियाओं तथा वन्य जीवन को प्रभावित करें। एक क्रोड क्षेत्र एक ऐसा संरक्षित क्षेत्र होता है, जिसमें सामान्यतः वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम,1972 के तहत संरक्षित राष्ट्रीय उद्यान या अभयारण्य शामिल होते हैं।
बफर क्षेत्र (Buffer Zone)
बफर क्षेत्र, कोर क्षेत्र के चारों ओर का क्षेत्र है। इस क्षेत्र का प्रयोग ऐसे कार्यों के लिये किया जाता है जो पूर्णतया नियंत्रित व गैर-विध्वंशक हों। इसमें सीमित पर्यटन, मछली पकड़ना, चराई आदि शामिल हैं। इस क्षेत्र में मानव का प्रवेश कोर क्षेत्र की तुलना में अधिक एवं संक्रमण क्षेत्र की तुलना में कम होता है। अनुसंधान और शैक्षिक गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जाता है।
संक्रमण क्षेत्र (Transition Zone)
संक्रमण क्षेत्र जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र का सबसे बाहरी भाग होता है। यह निचय प्रबंधन एवं स्थानीय लोगों के मध्य सहयोग का क्षेत्र है। इसमें बस्तियाँ, फसलें, वानिकी, प्रबंधित जंगल और मनोरंजन के लिये क्षेत्र तथा अन्य आर्थिक उपयोग क्षेत्र शामिल हैं।
भारत के जैवमंडल आरक्षित क्षेत्रों की सूची
भारत सरकार ने देश में 18 जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र स्थापित किए।
जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र का नाम | पदनाम की दिनांक | राज्य (राज्यों)/केंद्र शासित प्रदेश में स्थान |
---|---|---|
नीलगिरी (Nilgiri) | 01.08.1986 | तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक में वायनाड, नागरहोल, बांदीपुर और मदुमलाई, निलम्पुर, साइलेंट वैली और शिरुवानी पहाड़ियों का क्षेत्र। |
नंदा देवी (Nanda devi) | 18.01.1988 | उत्तराखंड में चमोली, पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा जिलों का भाग। |
नोकरेक (Nokrek) | 01.09.1988 | मेघालय में पूर्व, पश्चिम और दक्षिण गारो पहाड़ी जिलों का भाग। |
मानस (Manas) | 14.03.1989 | असम में कोकराझार, बोंगाईगांव, बारपेटा, नलबरी, कामरूप और दार्रांग जिलों का भाग। |
सुंदरवन (Sunderban) | 1989 | पश्चिम बंगाल में गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली के डेल्टा का क्षेत्र। |
मन्नार की खाड़ी (Gulf of Mannar) | 18.02.1989 | मन्नार की खाड़ी का भारतीय क्षेत्र तमिलनाडु के उत्तर में रामेश्वरम द्वीप से दक्षिण में कन्याकुमारी तक फैला हुआ है। |
ग्रेट निकोबार (Great Nicobar) | 06.01.1989 | अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का सबसे दक्षिणी द्वीप। |
सिमिलिपाल (Similipal) | 21.06.1994 | उड़ीसा में मयूरभंज जिले का हिस्सा। |
डिब्रु सिखोवा (Dibru-Saikhova) | 28.07.1997 | असम में डिब्रूगढ़ और तिनसुकिया जिलों का हिस्सा। |
दिहांग देबांग (Dehang-Dibang) | 02.09.1998 | अरुणाचल प्रदेश में अपर सियांग, पश्चिमी सियांग और दिबांग घाटी जिले के भाग। |
पंचमढ़ी (Pachmarhi) | 03.03.1999 | मध्य प्रदेश में बैतूल, होशंगाबाद और छिंदवाड़ा जिले के भाग। |
कंचनजंगा (Khangchend-zonga) | 07.02.2000 | सिक्किम में उत्तर और पश्चिम जिले के भाग। |
अगस्त्यमलाई (Agasthya-malai) | 12.11.2001 | तमिलनाडु में तिरुनेलवेली और कन्याकुमारी जिलों का भाग और केरल में तिरुवनंतपुरम, कोल्लम और पथनमथिट्टा जिले। |
अचनकमार-अमरकंटक (Achanakmar- Amarkantak) | 30.03.2005 | मध्य प्रदेश के अनूपपुर और डिंडोरी जिले और छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले का हिस्सा। |
कच्छ का रन (Kachchh) | 29.01.2008 | गुजरात में कच्छ, राजकोट, सुरेंद्रनगर और पाटन जिले के भाग।। |
कोल्ड डेजर्ट (Cold Desert) | 28.08.2009 | हिमाचल प्रदेश में पिन वैली नेशनल पार्क और उसके आसपास का क्षेत्र; चंद्रताल, सर्चू और किब्बर वन्यजीव अभयारण्य। |
शेषाचलम (Seshachalam) | 20.09.2010 | आंध्र प्रदेश में चित्तूर और कडप्पा जिलों के हिस्से को शामिल करते हुए पूर्वी घाट में शेषचलम पहाड़ी श्रृंखला। |
पन्ना (Panna) | 25.08.2011 | मध्य प्रदेश में पन्ना और छतरपुर जिले के भाग। |
विश्व जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र में सम्मिलित भारत के जैवमंडल आरक्षित क्षेत्रों की सूची
विश्व जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र में भारत के 12 जैवमंडल आरक्षित क्षेत्रों को सम्मिलित किया गया है।
जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र का नाम | सम्मिलित होने का वर्ष | अवस्थिति (राज्य) |
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नीलगिरी (Nilgiri) | 2000 | तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल |
मन्नार की खाड़ी (Gulf of Mannar) | 2001 | तमिलनाडु |
सुंदरवन (Sunderban) | 2001 | पश्चिम बंगाल |
नंदा देवी (Nanda Devi) | 2004 | उत्तराखंड में चमोली, पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा जिलों का भा। |
नोकरेक (Nokrek) | 2009 | मेघालय |
पंचमढ़ी (Pachmarhi) | 2009 | मध्यप्रदेश |
सिमिलिपाल (Similipal) | 2009 | उड़ीसा |
अचनकमार-अमरकंटक (Achanakmar- Amarkantak) | 2012 | मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ |
ग्रेट निकोबार (Great Nicobar) | 2013 | अण्डमान और निकोबार |
अगस्त्यमलाई (Agasthyamalai) | 2016 | केरल, तमिलनाडु |
कंचनजंगा (Khangchend-zonga) | 2018 | सिक्किम |
पन्ना (Panna) | 2020 | मध्यप्रदेश |
भारत के जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र (Biosphere reserves of India)
भारत में 18 जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र है,जो निम्नलिखित है:
नीलगिरि जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र (Nilgiri Biosphere reserve)
नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व भारत के पश्चिमी घाट व नीलगिरी क्षेत्र में स्थित एक अंतर्राष्ट्रीय संरक्षित जैवमंडल है। तमिल नाडु, कर्नाटक और केरल राज्यों में 5,520 वर्ग किमी पर विस्तारित यह क्षेत्र भारत का सबसे बड़ा संरक्षित वन क्षेत्र है। इसमें आरलम, मुदुमलै, मुकुर्ती, नागरहोल, बांदीपुर और साइलेंट वैली राष्ट्रीय उद्यान और वायनाड, करिम्पुड़ा और सत्यमंगलम वन्य अभयारण्य सम्मिलित हैं।
नंदा देवी आरक्षित क्षेत्र (Nanda devi Biosphere reserve)
नंदा देवी जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र उत्तराखंड में स्थित है, जिसमें चमोली, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ और बागेश्वर जिलों के भाग शामिल हैं। यहाँ पर मुख्यतः शीतोष्ण कटिबंधीय वन पाए जाते हैं। यहाँ पाई जाने वाली प्रजातियों में सिल्वर वुड तथा लैटीफोली जैसे ओरचिड और रोडोडेंड्रॉन शामिल हैं। इसमें कई प्रकार के वन्य जीव, जैसे- हिम तेंदुआ (Snow leopard), काला भालू, भूरा भालू, कस्तूरी मृग, हिम-मुर्गा, सुनहरा बाज और काला बाज पाए जाते हैं।
मन्नार की खाड़ी जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र (Gulf of Mannar Biosphere reserve)
मन्नार की खाड़ी जैवमंडल आरक्षित श्रीलंका से आगे भारत के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित है। यह लगभग एक लाख पाँच हजार हैक्टेयर क्षेत्र में फैला है। इस आरक्षित क्षेत्र में समुद्रीय जीव विविधता प्रचुर मात्रा में पायी जाती है। इसमें 21 द्वीप हैं और इन पर अनेक ज्वारनदमुख, पुलिन, तटीय पर्यावरण के जंगल, समुद्री घास, प्रवाल द्वीप, लवणीय अनूप और मैंग्रोव पाए जाते हैं। यहाँ पर लगभग 3600 पौधों और जीवों की संकटापन्न प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जैसे – समुद्री गाय (Dugong dugon)।
नोकरेक जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र (Nokrek Biosphere reserve)
यूनेस्को ने मई 2009 में बायोस्फीयर रिज़र्व की अपनी सूची में नोकरेक को जोड़ा। नोकरेक बायोस्फीयर रिजर्व भारत के मेघालय राज्य में स्थित गारो पहाड़ियों का हिस्सा है। पूरा बायोस्फीयर रिजर्व पहाड़ी क्षेत्र है। अधिकांश बायोस्फीयर रिजर्व क्षेत्र में मिट्टी लाल दोमट है। बायोस्फीयर रिजर्व में मिट्टी कार्बनिक पदार्थ और नाइट्रोजन से भरपूर होती है लेकिन फॉस्फेट और पोटाश की कमी होती है। गारो हिल्स क्षेत्र की सभी महत्वपूर्ण नदियाँ और धाराएँ नोकरेक रेंज से निकलती हैं, जिनमें से सिम्संग (Simsang) नदी, जिसे सोमेश्वरी के नाम से जाना जाता है, यह बाघमारा में बांग्लादेश से निकलती है, सबसे प्रमुख है।
पार्क में उल्लेखनीय स्थलों में नोकेरेक पीक और रोंगबैंग डेयर वाटर फॉल शामिल हैं। यहाँ स्थित सिजू गुफा (siju caves) पानी से भरी है और मीलों लंबी है। नोकरेक में लाल पांडा (red panda) की आबादी पायी जाती है है। नोकेरेक एशियाई हाथी का एक महत्वपूर्ण निवास स्थान भी है।
सुन्दरवन जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र (Sunderban Biosphere reserve)
सुंदरवन बायोस्फीयर रिजर्व पश्चिम बंगाल राज्य में स्थित सुंदरबन डेल्टा में स्थित है। यह डेल्टा ब्रह्मपुत्र, गंगा और मेघावी नदियों के संयुक्त वितरण और जमा की गयी मिट्टी द्वारा बनाया गया है। अपने अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र के कारण, इसे 2001 में यूनेस्को बायोस्फीयर रिजर्व के रूप में नामित किया गया था।
मानस जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र (Manas Biosphere reserve)
मानस बायोस्फीयर रिजर्व भारत के असम राज्य में स्थित हैं। यह यूनेस्को द्वारा घोषित एक प्राकृतिक विश्व धरोहर स्थल, बाघ के आरक्षित परियोजना (Project Tiger), हाथियों के आरक्षित क्षेत्र हैं। मानस बायोस्फीयर रिजर्व असम के कोकराझार, बोंगईगांव, बारपेटा, नलबाड़ी, कामरूप और दरंग जिलों में फैला हुआ है। मानस नदी बायोस्फीयर रिजर्व से होकर गुजरती है। मानस नदी ब्रह्मपुत्र नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है। इसे भारत सरकार द्वारा 1989 में बायोस्फीयर रिजर्व घोषित किया गया था।
सिमलिपाल जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र (Similipal Biosphere reserve)
सिमिलीपाल बायोस्फीयर रिजर्व, एक नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व भी है। भारत सरकार ने सिमिलीपाल बायोस्फीयर रिजर्व को बायोस्फीयर रिजर्व का दर्जा 1994 में दिया था। यह बायोस्फीयर रिजर्व ओडिशा के मयूरभंज जिले में अवस्थित है। सिमिलीपाल बायोस्फीयर रिजर्व, वर्ष 2009 से ‘यूनेस्को वर्ल्ड नेटवर्क आफ बायोस्फीयर रिजर्व’ का हिस्सा है। इस बायोस्फीयर रिजर्व में टाइगर और हाथी के अलावा विभिन्न प्रकार के पक्षी पाये जाते हैं।
दिहांग-दिबांग जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र (Dehang-Dibang Biosphere reserve)
अरुणाचल प्रदेश में सियांग और दिबांग घाटी का हिस्सा है। मौलिंग नेशनल पार्क और दिबांग वन्यजीव अभयारण्य इस बायोस्फीयर रिजर्व के भीतर स्थित हैं। रिज़र्व अरुणाचल प्रदेश में तीन जिलों में फैला है: दिबांग वैली, अपर सियांग और वेस्ट सियांग। इसे भारत सरकार द्वारा 1998 में बायोस्फीयर रिजर्व घोषित किया गया था। दिहंग-दिबंग बायोस्फीयर रिजर्व वन्यजीवों से समृद्ध है। दुर्लभ स्तनपायी जैसे कि मिश्मी टैकिन, लाल गोरल, कस्तूरी मृग, लाल पांडा, एशियाई काला भालू, आदि यहाँ पाए जाते हैं।
पचमढ़ी जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र (Pachmarhi Biosphere reserve)
पचमढ़ी जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र मध्य प्रदेश के बैतूल, होशंगाबाद और छिंदवाड़ा जिलों में स्थित है। पचमढ़ी जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र में सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान तथा बोरी एवं पचमढ़ी नामक दो वन्यजीव अभयारण्य सम्मिलित हैं। यह जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र 4981.72 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है।
भारत सरकार द्वारा सन् 1999 में इसे संरक्षण क्षेत्र घोषित किया गया था। यूनेस्को ने 2009 में इसे जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र नामित किया था।
यहां सागौन (Tectona grandis) और साल (Shorea robusta) नामक पेड़ की प्रजातियां विशेष तौर से पायी जाती है। विशाल भारतीय गिलहरी और उड़न गिलहरी जैसी प्रजातियाँ भी आरक्षित क्षेत्र में पाई जाती हैं। इस क्षेत्र में सबसे बड़े जंगली शाकाहारी जानवर गौरा भी पाया जाता है।
अचनकमार-अमरकंटक जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र(Achanakmar- Amarkantak Biosphere reserve)
अचानकमार-अमरकण्टक जीवमण्डल रिज़र्व भारत के दो राज्यों मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में स्थित है। इस रिजर्व का लगभग छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्थित है। रिजर्व के अन्य प्रमुख हिस्से मध्य प्रदेश के अनूपपुर और डिंडोरी जिलों में हैं। अचनकमार वन्यजीव अभयारण्य का संरक्षित क्षेत्र बिलासपुर जिले में बायोस्फीयर रिजर्व के भीतर स्थित है। चार सींग वाले मृग, भारतीय जंगली कुत्ता, सॉर्स क्रेन, सफ़ेद दुम वाला गिद्ध आदि यहाँ पाए जाते हैं। इसे भारत सरकार द्वारा 2005 में बायोस्फीयर रिजर्व घोषित किया गया था। बायोस्फीयर रिजर्व युनेस्को की विश्व के बायोस्फ़ेयर रिज़र्व की सूची में सन् 2012 में शामिल किया गया था।
कच्छ जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र (Kachchh Biosphere reserve)
कच्छ का रण बायोस्फीयर रिजर्व गुजरात राज्य के कच्छ, राजकोट, सुरेंद्र नगर और पाटन जिलों में फैला हुआ एक नमकीन दलदल का प्रदेश है। यह थार रेगिस्तान में स्थित है। कच्छ का रण भारत में सबसे बड़ा बायोस्फीयर रिजर्व (largest biosphere reserve in India) है। इसे भारत सरकार द्वारा 2008 में बायोस्फीयर रिजर्व घोषित किया गया था। भारतीय जंगली गधा यहाँ पाया जाता है। यहाँ बन्नी घास के मैदान (Banni grasslands) पाया जाता है।
कोल्ड डेज़र्ट जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र (Cold Desert Biosphere reserve)
कोल्ड डेजर्ट बायोस्फीयर रिज़र्व उत्तर भारत में हिमाचल प्रदेश राज्य के भीतर, पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में स्थित एक बायोस्फीयर रिजर्व है। कोल्ड डेजर्ट बायोस्फीयर रिज़र्व में पिन वैली नेशनल पार्क, चंद्रताल और सरचू किब्बर वन्यजीव अभयारण्य आदि शमिल है। इसे भारत सरकार द्वारा 2009 में बायोस्फीयर रिजर्व घोषित किया गया था।
कंचनजंघा जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र (Khangchendzonga Biosphere reserve)
कंचनजंघा बायोस्फीयर रिजर्व सिक्किम के खंगचेंद्ज़ोंगा पहाड़ियों में फैला हुआ है। यहाँ स्थित कंचनजंघा चोटी विश्व की तीसरी सबसे ऊँची पर्वत चोटी है, इसे भारत सरकार द्वारा 2000 में बायोस्फीयर रिजर्व घोषित किया गया था। बायोस्फीयर रिजर्व युनेस्को की विश्व के बायोस्फ़ेयर रिज़र्व की सूची में सन् 2018 में शामिल किया गया था। Snow leopard, red panda आदि यहाँ पाए जाते हैं।
अगस्त्यमलाई जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र (Agasthyamalai Biosphere reserve)
अगस्त्यमला संरक्षित जैवमंडल (Agasthyamala Biosphere Reserve) भारत में पश्चिमी घाट पर्वतमला के दक्षिणतम भाग में सन् 2001 में स्थापित एक संरक्षित जैवमंडल है। इस जैवमंडल के 3,500.36 वर्ग किमी क्षेत्रफल का 1828 वर्ग किमी केरल और 1672.36 वर्ग किमी तमिल नाडु राज्य में है। शेनदुरनी वन्य अभयारण्य, पेप्पारा वन्य अभयारण्य, नेय्यार वन्य अभयारण्य और कलक्काड़ मुंडनतुरई टाइगर रिज़र्व इस संरक्षित जैवमंडल में सम्मिलित हैं। सन् 2016 में यह संरक्षित जैवमंडलों के विश्व नेटवर्क का भाग बना और यह यूनेस्को की विश्व के संरक्षित जैवमंडलों की सूची में भी शामिल है।
ग्रेट निकोबार जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र (Great Nicobar Biosphere reserve)
ग्रेट निकोबार बायोस्फीयर रिजर्व (Great Nicobar Biosphere Reserve) भारत का एक वान्य संरक्षित क्षेत्र है। यह अण्डमान व निकोबार द्वीपसमूह के बड़े निकोबार द्वीप पर स्थित है और उस द्वीप के क्षेत्रफल पर विस्तृत है। इसमें ८८५ वर्ग किमी का केन्द्रीय क्षेत्र है जिसके इर्द-गिर्द १२ किमी चौड़ा मध्यवर्ती पट्टा है। भारत सरकार ने इसे जनवरी १९८९ में स्थापित किया था और इसमें भारत के दो राष्ट्रीय उद्यान सम्मिलित हैं: कैम्पबॅल बे राष्ट्रीय उद्यान और गैलेथिआ राष्ट्रीय उद्यान।
डिब्रू-सैखोवा जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र (Dibru-Saikhova Biosphere reserve)
डिब्रू-सैखोवा बायोस्फीयर रिजर्व भारत के असम राज्य के डिब्रूगढ़ और तिनसुकिया जिलों में स्थित है। इसे भारत सरकार द्वारा 1997 में बायोस्फीयर रिजर्व घोषित किया गया था। यह बायोस्फीयर रिजर्व दुनिया के उन कुछ स्थानों में से एक है जो जंगली घोड़ों (feral horses) और सफेद पंखों वाला देवहंस (Wood Duck) का घर है। डिब्रू-सैखोवा बायोस्फीयर रिजर्व में ब्रह्मपुत्र और लोहित नदियों नदियाँ बहती है।
शेषचलम जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र (Seshachalam Biosphere reserve)
शेषचलम बायोस्फीयर रिजर्व दक्षिणी आंध्र प्रदेश में पूर्वी घाटों के शेषचलम पर्वत-श्रृंखला में स्थित है। शेषचलम बायोस्फीयर रिजर्व का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 4755.9 किमी2 है। इसे 2010 में भारत के बायोस्फीयर रिजर्व के रूप में नामित किया गया था।
पन्ना जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र (Panna Biosphere reserve)
पन्ना जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित है। यह 2,400 वर्ग किलोमीटर (930 वर्ग मील) के क्षेत्र में फैला है और इसमें पन्ना राष्ट्रीय उद्यान, पन्ना अभयारण्य और कई अन्य संरक्षित क्षेत्र शामिल हैं। आरक्षित क्षेत्र विंध्य पर्वत श्रृंखला में स्थित है और इसमें शुष्क पर्णपाती वन, घास के मैदान और चट्टानी पहाड़ियों की विविधता शामिल है।
पन्ना जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र बाघों, तेंदुओं, हाथियों, हिरणों और कई अन्य जानवरों सहित वनस्पतियों और जीवों की एक विस्तृत विविधता का घर है। यह क्षेत्र पक्षियों के लिए भी महत्वपूर्ण आवास है, जिसमें 200 से अधिक प्रजातियां दर्ज की गई हैं।
पन्ना जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र को 1994 में यूनेस्को द्वारा जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र के रूप में नामित किया गया था।