किसी एक निश्चित बिंदु से समान दूरी पर स्थित बिंदुओं का बिन्दुपथ वृत्त कहलाता है।
इस निश्चित बिंदु को वृत्त का केंद्र कहा जाता है, और केंद्र और वृत्त की परिधि के किसी भी बिंदु के बीच की दूरी वृत्त की त्रिज्या कहलाती है।
वृत्त की त्रिज्या
वृत्त की त्रिज्या वह रेखाखण्ड है जो वृत्त के केन्द्र को किसी बिंदु पर मिलाता है।
वृत्त का व्यास
वृत्त का व्यास वह रेखाखण्ड है जो वृत्त के दो बिंदुओं को मिलाता है जो वृत्त के केन्द्र से होकर गुजरते हैं।
वृत्त का परिमाप
वृत्त का परिमाप वृत्त की त्रिज्या के चार गुने के बराबर होता है। $$C = 2\pi r$$
जहाँ,
- C = वृत्त का परिमाप
- r = वृत्त की त्रिज्या
- π = एक अपरिमेय संख्या जिसका मान लगभग 3.14 होता है।
वृत्त का क्षेत्रफल
वृत्त का क्षेत्रफल वृत्त की त्रिज्या के वर्ग के चार गुने के बराबर होता है। $$S = \pi r^2$$
जहाँ,
- S = वृत्त का क्षेत्रफल
- r = वृत्त की त्रिज्या
- π = एक अपरिमेय संख्या जिसका मान लगभग 3.14 होता है।
अन्य सूत्र
- वृत्त की परिधि = 2πr
- वृत्त का चाप की लंबाई = θr
- वृत्त के चाप का क्षेत्रफल $$= θ/2πr^2$$
- वृत्त के त्रिज्याखण्ड का क्षेत्रफल$$ = (θ/2 – 1/4)πr^2$$
- वृत्त के खण्ड का क्षेत्रफल $$= (1 – θ/2)πr^2$$
तीन असंरेख बिन्दुओं में दो-दो को मिलाने से बने तीन रेखा खण्डों का सम्मिलन, त्रिभुज कहलाता है।
- उन तीन बिन्दुओं को जिन्हें मिलाने से एक त्रिभुज बनता है, त्रिभुज के शीर्ष या शीर्ष बिन्दु (Vertices) कहते है।
- त्रिभुज के तीन रेखाखण्डों को उसको भुजाएँ (sides) कहते है।
- त्रिभुज के तीन रेखा खण्डों से शीर्ष बिन्दुओं पर बने तीन कोणों को, त्रिभुज के कोण कहते है।
अन्तराभिमुख अन्तः कोण त्रिभुज के किसी बहिष्कोण के आसन संपूरक कोण के अतिरिक्त शेष दो अन्तः कोणों को, उस बहिष्कोण के लिए अन्तराभिमुख अन्त: कोण कहा जाता है।
त्रिभुज के किसी बहिष्कोण का मान उसके अन्तराभिमुख अन्तः कोणों के योग के बराबर होता है।
भुजाओं के आधार पर त्रिभुजों का वर्गीकरण
- विषमबाहु त्रिभुज (Scalene Triangle): जिस त्रिभुज की तीनों भुजाएँ अलग-अलग माप की हों, उसे विषमबाहु त्रिभुज कहते है।
- समद्विबाहु त्रिभुज ( Isosceles Triangle): यदि किसी त्रिभुज की दो भुजाएँ समान माप की हो तो उसे समद्विबाहु त्रिभुज कहा जाता है।
- समबाहु त्रिभुज ( Equilateral Triangle): जिस त्रिभुज में सभी भुजाएँ समान माप की हों, उसे समबाहु त्रिभुज कहते है।
कोणों के आधार पर त्रिभुजों का वर्गीकरण
- न्यून कोण त्रिभुज( Acute angled triangle): जिस त्रिभुज का प्रत्येक कोण एक न्यून कोण हो, उसे न्यून कोण त्रिभुन कहते है।
- समकोण त्रिभुज ( Right angled triangle): जिस त्रिभुज का कोई एक कोण समकोण के बराबर हो, उसे समकोण त्रिभुज कहते है।
- अधिक कोण त्रिभुज ( obtuse angled triangle): जिस त्रिभुज में कोई एक कोण अधिक कोण हो, उसे अधिक कोण त्रिभुज कहते है।
प्रमेय
त्रिभुज के तीनों कोणों का योगफल दो समकोण के बराबर होता है।
उपप्रमेय
- यदि किसी त्रिभुज की एक भुजा को बढ़ा दी जाए तो इस प्रकार बना बहिष्कोण अंतराभिमुख अन्तः कोणों के योग के बराबर होता है।
- किसी त्रिभुज में एक बहिष्कोण, प्रत्येक अन्तराभिमुख अन्तः कोण से बड़ा होता है।
- एक समकोण त्रिभुज में, समकोण ही सबसे बड़ा कोण होता है।
- किसी चतुर्भुज के चारों कोणों का योगफल चार समकोण के बराबर होता है।
त्रिभुजों की सर्वांगसमता (Congruence of triangles)
दो त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं, यदि और केवल यदि एक त्रिभुज की सभी भुजाएँ एवं कोण दूसरे त्रिभुज की संगत भुजाओं एवं कोणों के समान हो। दो त्रिभुजों की सर्वांगसमता तीन रेखा खण्डों एवं तीन कोणों की संगतता का परिणाम हैं।
- भुजा-कोण-भुजा गुणधर्म (SAS Rule): यदि एक त्रिभुज की कोई दो भुजाएँ और उनके मध्य अन्तरित कोण दूसरे त्रिभुज की कोई दो भुजाओं और उनके मध्य अन्तरित कोण के बराबर हो, तो दोनो त्रिभुज सर्वागसम होते हैं।
- कोण-भुजा-कोण गुणधर्म (ASA Rule) : यदि एक त्रिभुज के कोई दो कोण और उनकी अन्तरित भुजा दूसरे त्रिभुज के दो कोणों और उनकी अन्तरित भुजा के बराबर हो, तो दोनों त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं।
- कोण-कोण-भुजा गुणधर्म (AAS Rule) : यदि एक त्रिभुज के दो कोण और एक गुजा दूसरे त्रिभुज को दो कोणों और संगत भुजा के बराबर हो तो त्रिगुज सर्वांगसग होते है।दिया
- भुजा-भुजा-भुजा गुणधर्म (SSS Rule): यदि एक त्रिभुज की तीनों भुजाएँ दूसरे त्रिभुज की तीनों संगत मुजाओं के बराबर हों, तो दोनो त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं।
- समकोण-कर्ण-भुजा गुणधर्म (RHS Rule): यदि एक समकोण त्रिभुज का कर्ण और एक भुजा दूसरे समकोण त्रिभुज के क्रमशः कर्ण तथा संगत भुजा के बराबर हो, तो दोनों त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं।
त्रिभुजों में असमिकाएं (Inequalities in triangle)
जब दो राशियों असमान होती हैं, उस समय दोनों राशियों की तुलना करने पर राशियों के मध्य जो संबंध बनता है, वह असमिका संबंध कहलाता है। त्रिभुजों की भुजा एवं कोणों के बीच असमिका संबंध निम्नलिखित है:
- किसी त्रिभुज की दो भुजाएँ असमान हो, तो बड़ी भुजा के सामने का कोण छोटी भुजा के सामने के कोण से बड़ा होता है।
- किसी त्रिभुज में बड़े कोण की सम्मुख भुजा छोटे कोण की सम्मुख भुजा से बड़ी होती है।
- त्रिभुज की दो भुजाओं का योग उसकी तीसरी भुजा से बड़ा होता हैं।
- किसी सरल रेखा या रेखा खण्ड पर बाह्य बिन्दु से खीचें गये सभी रेखा खण्डों में लम्बवत् रेखा खण्ड ही सबसे छोटा होता हैं।
त्रिभुज की रचना
किसी त्रिभुज की रचना करने के लिए, निम्नलिखित अवयव ज्ञात होना आवश्यक है :
- तीनों भुजाएँ (भुजा – भुजा – भुजा) या
- दो कोण और एक भुजा (कोण – भुजा – कोण) या
- दो भुजाएँ ओर उनके मध्य बना कोण (भुजा – कोण – भुजा) या
- समकोण त्रिभुज में कर्ण तथा एक भुजा (कर्ण – भुजा)
निम्न स्थितियों में त्रिभुज की रचना नहीं की जा सकती है
- तीन कोण दिये हों
- दो भुजाएँ और एक के सामने का न्यून कोण (इस स्थिति में दो त्रिभुज बन सकते हैं और अभीष्टत्रिभुज निश्चित नहीं किया जा सकता। अतः एक संदिग्ध स्थिति उत्पन्न हो जाती है।)
ऐसा चतुर्भुज जिसकी सम्मुख भुजाएं समांतर हो तथा जिसका प्रत्येक अन्तःकोण समकोण हो, आयत कहलाता है। आयत एक समांतर चतुर्भुज है जिसके सभी कोण समान माप के होते हैं, जिनका मान 90 डिग्री होता है। एक समांतर चतुर्भुज होने के कारण आयत की सम्मुख भुजाएं बराबर लंबाई की होती है और विकर्ण एक दूसरे को समद्विभाजित करते हैं। आयत के विकर्ण बराबर लंबाई के होते हैं।
आयत की विशेषताएं
- आयत की आमने सामने की भुजाएं समांतर और बराबर होती है।
- आयत के दोनों विकर्ण लंबाई में बराबर होते है तथा एक दूसरे को समद्विभाजित करते हैं।
- आयत का प्रत्येक अन्तःकोण 90 डिग्री होता है।