वाक्यांश के लिए एक शब्द
- जिसका कथन न किया जा सके : अकथनीय
- जिसको किसी तर्क से काटा न जा सके : अकाट्य
- जिसे खाया न जा सके : अखाद्य
- वह स्थान जिस पर कोई जा न सके : अगम्य
- सबसे पहले गिना जाने वाला : अग्रगण्य
- वह जो पहले जन्मा हो : अग्रज
- वह जो इन्द्रियों द्वारा न जाना जा सके : अगोचर
- वह जो कभी बूढ़ा न हो : अजर
- वह जिसका कोई शत्रु पैदा ही न हुआ हो : अजातशत्रु
- वह जिस पर विजय प्राप्त न की जा सके : अजेय
- वह जो इन्द्रियों के अनुभव के परे हो : अतीन्द्रिय
- मात्रा से अधिक वर्षा होना : अतिवृष्टि
- वह जिसकी तुलना न की जा सके : अतुलनीय
- वह जिसके जैसा दूसरा न हो : अद्वितीय
- वह जो दूर की बात न सोच सके : अदूरदर्शी
- वह जो दिखाई न दे : अदृश्य
- आत्मा से सम्बन्धित : अध्यात्म
- पहाड़ के ऊपर की समतल भूमि : अधित्यका
- गजट में प्रकाशित सूचना : अधिसूचना
- वह कथा जो मूलकथा में आए : अन्तर्कथा
- वह जो सबके मन की बात जानता है : अन्तर्यामी
- अनेक राष्ट्रों के बीच : अन्तरराष्ट्रीय
- वह जिसका कोई अन्त न हो : अनन्त
- वह जिसका दूसरे से सम्बन्ध न हो : अनन्य
- वह जिसे किसी बात का पता न हो : अनभिज्ञ
- वह जिसका कोई स्वामी (नाथ) न हो : अनाथ
- पलकों को बिना गिराये : अनिमेष
- वह जिसका वर्णन न किया जा सके : अनिर्वचनीय
- वह जिसे रोका नहीं जा सके : अनिरुद्ध
- वह जिसके अभाव में कोई कार्य संभव नहीं हो : अनिवार्य
- वह उक्ति जो परम्परा से चल रही हो : अनुश्रुति
- वह जिसके लक्षण प्रकार आदि न बताए जा सके : अनिर्वचनीय
- वह जो अनुकरण के योग्य हो : अनुकरणीय
- किसी कार्य के लिए जाने वाली सहायता : अनुदान
- वह जो बाद में जन्मा हो : अनुज
- वह जो व्यर्थ खर्च करता है : अपव्ययी
- वह कारण जिसे टाला न जा सके : अपरिहार्य
- वह अंश जो पढ़ा हुआ न हो : अपठित
- वह जिसकी पहले से आशान ली : अप्रत्याशित
- वह जिस पर मुकदमा चला हो : अभियुक्त
- वह जिसे भेदा न जा सके : अभेद्य
- छ: माह में एक बार होने वाला : अर्द्धवार्षिक
- वह जिसे कम ज्ञान हो : अल्पज्ञ
- वह जिसका वध न किया जा सके : अवध्य
- वह घटना जो अवश्य घटने वाली है : अवश्यंभावी
- वह जो कानून विरुद्ध हो : अवैध
- वह जो बिना वेतन के काम करे : अवैतनिक
- वह जिसे क्षमा न किया जा सके : अक्षम्य
- फेंक कर चलाया जाने वाला हथियार : अस्त्र
- वह जिसमें कुछ भी ज्ञान न हो : अज्ञ
- पूरे जीवन भर/जीवन तक : आजीवन
- अपनी ही हत्या करने वाला : आत्महंता/आत्मघाती
- पैर से लेकर सिर तक : आपादमस्तक
- वह जो रात्रि में विचरण करता है : निशाचर
- वह जो दूसरों के अधीन हो : पराधीन
- पन्द्रह दिन में एक बार हो : पाक्षिक
- वह स्त्री जिसे उसके पति ने छोड़ दिया हो : परित्यक्ता
- परिश्रम के बदले दी गई राशि : पारिश्रमिक
- दोपहर के पहले का समय : पूर्वाह्न
- वह जो शीध उत्तर देने की बुद्धि रखता है : प्रत्युत्पन्नमति
- वह जो दिखने में प्रिय लगे : प्रियदर्शी
- वह जो बहुत कुछ जानता है : बहुज्ञ
- वह जिसे भाषा का पूरा ज्ञान हो : भाषाविद्
- वह जो किसी के मर्म को जानले : मर्मज्ञ
- वह जो मास में एक बार हो : मासिक
- वह जो कम बोलता है : मितभाषी
- वह जो कम खर्च करता है : मितव्ययी
- वह जो खुले हाथ से दान करे : मुक्तहस्त
- वह जिसने मृत्यु को जीत लिया हो : मृत्युंजय
- क्रम के अनुसार : यथाक्रम
- जहाँ तक सम्भव हो : यथासंभव
- शक्ति के अनुसार : यथाशक्ति
- प्रतिष्ठा प्राप्त व्यक्ति लब्धप्रतिष्ठ
- बालक को सुलाने के लिए गाया जाने वाला गीत : लोरी
- वह जो वर्णन से परे हो : वर्णनातीत
- वह जो बहुत ज्यादा बोलता है : वाचाल
- माता-पिता का सन्तान के प्रति प्रेम : वात्सल्य
- इच्छानुसार गर्मी व सर्दी का वातावरण : वातानुकूलित
- वर्ष में एक बार हो : वार्षिक
- वह पुरुष जिसकी पत्नी मर गयी हो : विधुर
- वह जो विषय विशेष का ज्ञाता हो : विशेषज्ञ
- वह जो वेदों का ज्ञाता हो : वेदज्ञ
- वह जिसे व्याकरण का पूरा ज्ञान हो : वैयाकरण
- वे हथियार जो हाथ में पकड़कर चलाये जाते हैं : शस्त्र
- शत्रु को मारने वाला : शत्रुघ्न
- छूत से फैलने वाला रोग : संक्रामक
- वह जो सबको समान रूप से देखे : समदर्शी
- उसी समय घटित होने वाला : समकालीन
- एक ही समय से सम्बन्धित : समसामयिक
- वह जो समान आयु का हो : समवयस्क
- शीघ्र प्रसन्न होने वाला : आशुतोष
- वह जो ईश्वर में विश्वास रखे : आस्तिक
- जो इन्द्रियों की पहुँच के परे हो : इन्द्रियातीत
- वह जो ऋण से मुक्त हो गया हो : उऋण
- पर्वत के नीचे की भूमि : उपत्यका
- वह भूमि जिसमें कुछ भी न उपजता हो : ऊसर
- इतिहास से सम्बन्धित : ऐतिहासिक
- वह जो कविता करती है : कवयित्री
- वृक्षों और लताओं से घिरा स्थान : कुंज
- वह जो बाह्य जगत् के ज्ञान से अनभिज्ञ हो : कूपमण्डूक
- वह जो किए का उपकार माने :कृतज्ञ
- वह जो कीटाणुओं को मारे : कृमिघ्न
- क्षण में नष्ट होने वाला : क्षण भंगुर
- क्षमा करने योग्य : क्षम्य
- चक्र है पाणि में जिसके वह : चक्रपाणि
- चार भुजाएँ हैं जिसके वह : चतुर्भुज
- वह रचना जो गद्य-पद्य मिश्रित हो : चम्पू
- वह चर्चा जिसका कोई प्रामाणिक आधार न हो : जनश्रुति
- वह जिसकी कुछ जानने की इच्छा हो : जिज्ञासु
- वह जिसमें बाण रखे जाते हैं : तरकश
- वह जो तीन कालों की बात जानता है : त्रिकालज्ञ
- वह जो तीनों गुणों से परे हो : त्रिगुणातीत
- तीनमाह में एक बार होने वाला : त्रैमासिक
- वह जिसके दश मुख हो : दशानन
- वह जिसके दश कन्धे हो : दशकंध
- वह जिसे लाँघना कठिन हो : दुर्लंघ्य
- वह जिसे भेदना कठिन हो :दुर्भेद्य
- वह जिसका दमन करना कठिन हो : दुर्दमनीय
- वह जिसे पार करना कठिन हो : दुस्तर
- वह जिसका जन्म अभी हुआ हो : नवजात
- वह जो नाशवान है : नश्वर
- वह जो ईश्वर में आस्था न रखे : नास्तिक
- वह स्थान जहाँ कोई भी जन न हो : निर्जन
- बिना पलकें गिराये देखना : निर्निमेष
- वह जिसे बाहर निकाल दिया गया हो : निर्वासित
- वह जो ममता से रहित हो : निर्मम
- वह जिसे अक्षरों का ज्ञान न हो : निरक्षर